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Reliance Jio ने TRAI को भेजी कानूनी राय

उपग्रह स्पेक्ट्रम नीलामी के खिलाफ तर्क देते हुए उद्योग के संगठन ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने भी ट्राई को इसी तरह की कानूनी राय भेजी थी।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- August 30, 2023 | 11:26 PM IST

रिलायंस जियो ने उपग्रह स्पेक्ट्रम के संभावित आवंटन के मामले के संबंध में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को कानूनी राय भेजी है। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश केएसपी राधाकृष्णन द्वारा लिखित इस पत्र में नीलामी के पक्ष में तर्क दिया गया है।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने वह पत्र देखा है, जो 2जी के फैसले की ओर इशारा करता है तथा इस बात पर जोर देता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से यह फैसला सुनाया था कि स्पेक्ट्रम का विभाजन केवल नीलामी द्वारा ही अलग किया जा सकता है, किसी अन्य तरीके से नहीं। पत्र में कहा गया है कि अदालत के तर्क में ऐसा कुछ भी नहीं दर्शाया गया है कि यह निष्कर्ष उपग्रह आधारित संचार सेवाओं के उद्देश्य वाले स्पेक्ट्रम पर लागू नहीं होगा।

पत्र में बताया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जब प्राकृतिक संसाधन निजी पार्टियों को उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं, तो सरकार को निपटान के प्रतिस्पर्धी तरीके अपनाकर अपना खुद का राजस्व अधिकतम करने का प्रयास करना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत किसी भी अन्य तरीके को चुनौती दी जा सकती है।

उपग्रह स्पेक्ट्रम नीलामी के खिलाफ तर्क देते हुए उद्योग के संगठन ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने भी ट्राई को इसी तरह की कानूनी राय भेजी थी। फिलहाल उद्योग के भागीदार इस मामले पर ट्राई की अंतिम सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं।

गूगल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज तकनीकी कंपनियों तथा एरिक्सन, सिस्को और हुआवेई जैसी दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले बीआईएफ ने इस संबंध में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के विचार मांगे थे कि क्या कानूनन यह जरूरी है कि उपग्रह स्पेक्ट्रम आवंटित करने का एकमात्र तरीका नीलामी ही है। रोहतगी ने जवाब दिया था कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी संसाधन आवंटन का सबसे उपयुक्त और कुशल तरीका नहीं है।

First Published : August 30, 2023 | 11:26 PM IST