Senior citizen living market: देश में सीनियर सिटीजन (60 से अधिक उम्र के नागरिक) संख्या 2050 तक बढ़कर दोगुनी हो सकती है। जिससे सीनियर लिविंग हाउसिंग सेक्टर भी तेजी से बढ़ने की संभावना है। मार्केट में सीनियर लिविंग स्टॉक की हिस्सेदारी भी बढ़ने का अनुमान है।
एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया (ASLI) और संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया द्वारा आज जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय सीनियर सिटीजन की संख्या करीब 15.67 करोड़ है और 2050 तक यह संख्या बढ़कर दोगुनी से अधिक यानी 34.60 करोड़ होने का अनुमान है। सीनियर सिटीजन की संख्या बढ़ने से इनके मकानों की संख्या में भी इजाफा हो सकता है।
ASLI और जेएलएल इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में सीनियर सिटीजन के रहने के लिए मकानों की मांग 15.7 लाख है। वर्ष 2030 तक इसके बढ़कर 22.7 लाख होने का अनुमान है। वर्तमान में सीनियर सिटीजन के लिए हाउसिंग स्टॉक 20,400 है, जो 2030 तक बढ़कर 56,600 हो सकता है। एक दशक पहले यह महज करीब 7,100 था।
रिपोर्ट के अनुसार सीनियर सिटीजन के लिए हाउसिंग मार्केट 2030 तक 300 फीसदी बढ़कर 7.7 अरब डॉलर यानी 64,500 करोड़ रुपये हो सकता है।
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ASLI के चेयरमैन रजित मेहता ने कहा कि भारत में 2050 तक सीनियर सिटीजन की आबादी 30 करोड़ पार होने से सीनियर सिटीजन केयर सॉल्यूशंस की मांग भी तेजी से बढ़ने वाली है। वर्तमान में भारत के केवल 5 फीसदी सीनियर ही ही संस्थागत देखभाल तक पहुंच है और आधे से अधिक लोग सामाजिक सुरक्षा के बिना रहते हैं। ऐसे में इनके लिए ऐसे मकानों की मांग बढ़ सकती है, जो स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हों।
जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ सामंतक दास ने कहा कि सीनियर सिटीजन की हाउसिंग मार्केट में पैठ महज 1.3 फीसदी है। यह आंकड़ा 2030 तक बढ़कर 2.5 फीसदी हो सकता है। सीनियर सिटीजन के लिए मकानों की संख्या वर्तमान 15.7 लाख से बढ़कर करीब 23 लाख हो सकती है।