रिलायंस कम्युनिकेशंस आरकॉम ने दक्षिण अफ्रीकी कंपनी एमटीएन ग्रुप के साथ विलय के अपने प्रयासों को तेज करते हुए विदेशी कंपनी के सामने नया चारा डाला है।
उसने एमटीएन को आश्वस्त किया है कि विलय की सूरत में वह उसे सभी प्रकार की वित्तीय और कानूनी हिफाजत मुहैया कराएगी। आरकॉम ने एमटीएन में हिस्सेदारी खरीदने के प्रयास किए थे। दोनों कंपनियों के बीच हुए रिवर्स मर्जर समझौते के मुताबिक एमटीएन आरकॉम में ही हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार हासिल कर चुकी है।
यदि विलय नहीं होता है, तो सूत्रों के मुताबिक कानूनी बाधा पड़ने से वित्तीय घाटा भी जबरदस्त होगा। लेकिन अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम ने एमटीएन के सदस्यों को भरोसा दिलाया है कि किसी भी प्रकार की अड़चन की सूरत में वह कंपनी को मुआवजा देगी। एमटीएन के एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमें सभी प्रकार की मदद का आश्वासन दिया गया है। चाहे वह कानूनी हो या वित्तीय, हमारी मदद की जाएगी। विलय की योजना को बीच में ही लटकाने की किसी की भी योजना नहीं है, लेकिन सौदे को विफल करने के सभी संभावित प्रयासों के प्रति हम पहले से ही सतर्कता बरत रहे हैं।’
आरकॉम कानूनी मोर्चे पर भी एमटीएन के साथ है। उसने कहा है कि यदि मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एमटीएन पर मुकदमा करती है, तो उसके वकीलों की पूरी टीम अफ्रीकी कंपनी के साथ होगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज कानूनी कार्यवाही की धमकी दे चुकी है। इस सौदे पर दोनों कंपनियों ने अपने-अपने देश की सरकारों से भी बातचीत शुरू कर दी है। इसके लिए राजनीतिक समर्थन जुटाने की दोनों ही पुरजोर कोशिश कर रही हैं। लेकिन एमटीएन या आरकॉम के प्रवक्ताओं ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।