भारत में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े नियोक्ता क्वेस कॉर्प का मानना है कि शिक्षा एवं खाद्य कारोबार के सुचारु होने के साथ ही कंपनी राजस्व और लाभ दोनों मोर्चे पर जनवरी से मार्च तिमाही तक कोविड पूर्व स्तर पर लौट सकती है। फेयरफैक्स के निवेश वाली कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में उसका प्रदर्शन कुछ मानदंडों पर कमजोर रहा। प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कारोबार के बंद होने और शैक्षणिक संस्थानों एवं आईटी कंपनियों से संबंधित खाद्य कारोबार के प्रभावित होने से प्रदर्शन पर असर पड़ा।
कंपनी के समूह मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) सूरज मोराजे ने कहा, ‘यदि इन दोनों कारकों के सामान्य होने के बाद परिचालन लाभ की गणना की जाए तो हमारा प्रदर्शन पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘खाद्य कारोबार में सुधार एक तरह से बोनस है जबकि शैक्षणिक संस्थानों के 15 नवंबर तक शुरू होने की उम्मीद है। इसलिए हम तीसरी तिमाही तक आंशिक तौर पर और चौथी तिमाही तक पूरी तरह से वापसी (कोविड पूर्व स्तर पर) कर लेंगे।’ क्वेस कॉर्प ने 30 सितंबर 2020 को समाप्त तिमाही में 2,615 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के मुकाबले लगभग स्थिर रहा। तिमाही के दौरान कंपनी का शुद्ध लाभ 25 फीसदी घटकर 49.9 करोड़ रुपये हो गया। बेंगलूरु की इस कंपनी के कर्मचारियों की संख्या क्रमिक आधार पर 3 फीसदी की गिरावट के साथ 3,25,000 रह गई। कंपनी पिछली तीन तिमाहियों से अपने कर्मचारियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज कर रही है। कंपनी ने उम्मीद जताई है कि चालू तिमाही में गिरावट की रफ्तार थम सकती है। कंपनी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद ग्राहक काम के आधार पर पारिश्रमिक मॉडल को अपना रहे हैं और अल्पावधि के लिए श्रमिकों को काम पर रख रहे हैं।
ऋण क्षेत्र में काम करने वाली फिनटेक, ई-कॉमर्स और एडु-टेक स्टार्टअप ऐसे मॉडलों को अपना रहे हैं। मोराजे ने कहा, ‘त्योहारी मौसम की तरह अत्यधिक और अस्थायी मांग के प्रबंधन के लिए इसे एक अलग मॉडल के रूप में देखा जाता है। यहां तक कि बैंक जैसी पारंपरिक कंपनियां भी मर्केंडाइजिंग एवं शुल्क आधारित गतिविधियों के लिए इस मॉडल को आजमा रही हैं। कंपनियां कहीं अधिक खुले दिमाग से इसका प्रयोग कर रही हैं क्योंकि नए श्रम कानून के तहत औपचारिक रूप से गिग (अस्थायी/अल्पकालिक) प्लेटफॉर्म को पहचान दी गई है। यह ऐसा बदलाव है जो अब मुख्यधारा में शामिल जो जाएगा।’ गिग श्रमिक स्वतंत्र संविदाकर्मी होते हैं जो मांग के आधार पर कार्य निष्पादित करने के लिए कंपनियों के साथ लचीला अनुबंध करते हैं। गिग इकनॉमी में पूर्णकालिक कर्मचारियों को काम पर रखने के बजाय कंपनियों द्वारा अस्थायी नौकरियों को प्राथमिकता दी जाती है। केंद्र सरकार ने हाल में तीन श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है जिसमें 40 करोड़ असंगठित श्रमिकों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित करने की बात कही गई है। क्वेस ने दूसरी तिमाही में डब्ल्यूऐंडक्यू को भी लॉन्च किया जो कार्यबल प्रबंधन करने वाला ऐप है। इस ऐप को लगभग 2,00,000 मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता पहले ही हासिल हो चुके हैं।
