देश की सबसे बड़ी और दूसरी सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स श्रृंखला, पीवीआर और आइनॉक्स के विलय की प्रक्रिया अभी चल रही है। आइनॉक्स समूह के निदेशक सिद्धार्थ जैन ने विवेट सुजन पिंटो के साथ बातचीत में बताया कि यह प्रक्रिया इस वित्त वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने इस विलय प्रक्रिया में अपनी भूमिका और उद्देश्य के बारे में भी बताया जो औद्योगिक और मेडिकल गैसों का भी उत्पादन करता है, और इसके साथ ही यह दो कंपनियों के अंतर्गत क्रायोजेनिक उपकरणों का भी उत्पादन करता है। संपादित अंश:
प्रक्रिया सही रास्ते पर चल रही है। यह अपने अंतिम चरण में है। हमें स्टॉक एक्सचेंज और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से सारी मंजूरी मिल गई है। हमें शेयरधारकों और लेनदारों की अनुमति भी मिल गई है। प्रक्रिया के अंतिम चरण के रूप में राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) के साथ विलय को लेकर सुनवाई चल रही है जो जनवरी में पूरी हो जाएगी। हमें उम्मीद है कि प्रस्तावित विलय फरवरी में पूरा हो जाएगा। जहां तक मेरी भूमिका की बात है, मैं, बोर्ड में गैर-कार्यकारी प्रबंध निदेशक के पद पर रहूंगा। वहीं मेरे पिता (पवन कुमार जैन) कंपनी के चेयरमैन होंगे। अजय बिजली कंपनी के प्रबंध निदेशक और उनके भाई संजीव बिजली कार्यकारी निदेशक होंगे।
सीयूटीएस मे पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में प्रस्तावित विलय के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। आयोग ने वह याचिका खारिज कर दी थी। अब इसने सीसीआई के फैसले के खिलाफ एनसीएलटी में याचिका दर्ज कराई है। एनसीएलटी सीयूटी की याचिका पर 9 फरवरी को सुनवाई करेगी। देखते हैं कि इसमें क्या होता है।
समेकन और विलय के कारण अगले कुछ महीनों तक इसके प्रतिकूल प्रभाव पर आपके क्या विचार हैं? आप इससे कैसे निपटेंगे?
घरेलू सिनेमा व्यापार में समेकन पिछले कुछ समय से चल रहा है। अगर आप पिछले 10 वर्षों के सिनेमा बाजार को देखें तो कई नए सिनेमा उद्योगों ने इस बाजार में प्रवेश किया है। हमें इस बात की खुशी भी होगी अगर सिनेमा बाजार में और कंपनियां शामिल होती हैं क्योंकि, इसी के माध्यम से व्यापार में बढ़ोतरी होगी।
सरकार हाई अलर्ट पर है और इसपर नजदीकी से निगरानी की जा रही है। अभी तक, ऑक्सीजन आपूर्ति की वैसी स्थिति नहीं दिख रही है, जैसी कोविड महामारी की दूसरी लहर में देखने को मिली थी। लेकिन हम इसपर निगरानी कर रहे हैं।
हमने 1963 में अपना व्यापार शुरू किया था। उस समय, अमेरिकी कंपनी एयर प्रोडक्ट्स के साथ हमारी कोई साझेदारी नहीं थी। हमारा संयुक्त उद्यम 1999 में शुरू हुआ। और अब जेवी को स्थापित हुए 24 वर्ष हो गए। यह अमेरिका और भारत के बीच सबसे अधिक समय तक चलने वाला संयुक्त उद्यम भी बन गया है। वर्तमान में कंपनी का राजस्व 2500 करोड़ रुपये का है। आज से पांच वर्ष बाद हम इसके पांच गुने के कारोबार की उम्मीद करते हैं।
2021 में हमने 2,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) का निर्धारण किया था। हमने कैपेक्स का पहला दौर पूरा कर लिया है और अगले कुछ महीनों में दूसरे दौर का काम भी समाप्त कर लिया जाएगा। इस बीच, हम 1,000 करोड़ रुपये के नए खर्च पर पहले से ही विचार कर रहे हैं। इन सबका उपयोग कंपनी के कारोबार को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। हमारी 17 राज्यों में फैक्टरियां हैं और हम स्टील, फार्मास्युटिकल्स और अन्य विनिर्माण जैसे देश के कुछ शीर्ष उद्योगों को गैस की आपूर्ति करते हैं।
स्वच्छ उर्जा की तरफ कंपनी का स्थानांतरण मुख्य फोकस का विषय है। कंपनी को इसमें परिवर्तन करने के लिए क्रायोजेनिक उपकरणों की आवश्यकता पड़ेगी। हम एलएनजी, लिक्विड हाइड्रोजन और फ्यूजन एनर्जी की तरफ जाने की पहल कर रहे हैं। प्रस्तावित आईपीओ से कुछ मदद मिलेगी और हम गुजरात में एक नए संयंत्र का निर्माण करने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही हम अमेरिका और यूरोप की बाजारों में भी अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं।