एफएमसीजी में मूल्य वृद्धि की तैयारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:36 PM IST

कोविड-19 वैश्विक महामारी की शुरुआत के बाद से ही आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के कारण कच्चे माल की लगात में हुई वृद्धि से निपटने के लिए एफएमसीजी कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढ़ाती रही हैं। अब रूस-यूक्रेन के बीच जंग के कारण स्थिति कहीं अधिक खराब हुई है और विभिन्न वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। ऐसे में एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि कच्चे माल की लागत में हुई बढ़ोतरी का बोझ हल्का
करने के लिए उनके पास मूल्य वृद्धि के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
एफएमसीजी उत्पादों के लिए मूल्य वृद्धि का अगला दौर इस महीने के आखिर तक दिख सकता है। कुछ लोगों का कहना है कि इस बार मूल्य वृद्धि का आकार पिछले 6 से 12 महीनों के दौरान हुई कुल मूल्य वृद्धि के बराबर हो सकता है। बिस्कुट बनाने वाली प्रमुख कंपनी पारले प्रोडक्ट्स का कहना है कि वह गेहूं, खाद्य तेल एवं पैकेजिंग सामग्री जैसे प्रमुख कच्चे माल की लागत में वृद्धि के बोझ को हल्का करने के लिए इस महीने के आखिर तक अपने उत्पादों की कीमतों में 10 से 15 फीसदी की वृद्धि कर सकती है।
पारले प्रोडक्ट्स के श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में आंशिक तौर पर कमी आई है लेकिन वह अब भी उच्च स्तर पर बरकरार है जिससे प्लास्टिक की कीमतें प्रभावित हुई हैं। पाम ऑयल की कीमतों में भी इजाफा हुआ है और रूस-यूक्रेन जंग के कारण उसमें लगातार वृद्धि हो रही है। कच्चे तेल और पाम ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण कंपनियों के लिए यह निर्णय लेना कठिन हो गया है कि मूल्य वृद्धि किस दायरे में की जाए।’
अदाणी विल्मर के एमडी एवं सीईओ अंगशु मलिक ने कहा, ‘खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि के लिए कयासबाजी का दौर अब पूरा हो चुका है। पिछले सात दिनों में बाजार में गिरावट आई है और हमें यह देखना होगा कि कीमतों का रुख कैसा रहता है।’
अन्य एफएमसीजी कंपनियों में केविनकेयर भी कच्चे माल में तेजी के मद्देनजर अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही है। लेकिन कंपनी इस बात से चिंतित है कि मूल्य वृद्धि के कारण कहीं मांग न प्रभावित हो जाए।
केविनकेयर के सीईओ वेंकटेश विजयराघवन ने कहा, ‘हालांकि मूल्य वृद्धि कच्चे माल में तेजी के कारण लागत के बोझ को हल्का करने का एक समाधान है लेकिन मैं समझता हूं कि एक सीमा से अधिक मूल्य वृद्धि किए जाने पर खपत को झटका लग सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘कंपनियां कुछ खास श्रेणियों में कीमतें फिर बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं लेकिन मेरा मानना है कि इस बार उन्हें कहीं अधिक सावधान रहने की जरूरत है।’
डाबर इंडिया के मुख्य वित्तीय अधिकारी अंकुश जैन ने कहा, ‘मुद्रास्फीति के दबाव ओर उसके परिणामस्वरूप मूल्य वृद्धि के कारण उपभोक्ता खर्च में सख्ती दिखाते हुए विवेकाधीन खरीदारी से परहेज कर रहे हैं। वे छोटे पैक की खरीदारी भी घटा रहे हैं। हम स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं और हम लागत में बचत के लिए उपाय करते हुए कैलिब्रेटेड मूल्य वृद्धि करेंगे ताकि मुद्रास्फीति के दबाव को कम किया जा सके।’
नेस्ले इंडिया ने अपनी हालिया वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि खाद्य तेल, कॉफी और गेहूं जैसी प्रमुख श्रेणियों के लिए उसके मूल्य परिदृश्य में तेजी की आशंका बरकरार है जबकि आपूर्ति में व्यवधान, ईंधन कीमतों में तेजी और परिवहन लागत बढऩे के कारण पैकेजिंग सामग्रियों की लागत में तेजी बरकरार है।

First Published : March 23, 2022 | 11:30 PM IST