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सेमीकंडक्टर उद्योग के फलने-फूलने के लिए नीति की सुनिश्चितता महत्त्वपूर्ण- Micron

Micron भारत में सेमीकंडक्टर चिप असेंबली और परीक्षण संयंत्र स्थापित करने के लिए 82.5 करोड़ डॉलर तक का निवेश कर रही है।

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शिवानी शिंदे   
Last Updated- February 26, 2024 | 2:31 PM IST

अमेरिका की दिग्गज चिप कंपनी माइक्रॉन ने कहा कि इस उद्योग के फलने-फूलने के लिए नीति की सुनिश्चितता महत्त्वपूर्ण है। माइक्रॉन भारत में सेमीकंडक्टर चिप असेंबली और परीक्षण संयंत्र स्थापित करने के लिए 82.5 करोड़ डॉलर तक का निवेश कर रही है।

माइक्रॉन के कार्यकारी उपाध्यक्ष (वै​श्विक परिचालन) मनीष भाटिया ने कहा कि भारत में कंपनियों को आकर्षित करने और निर्यात बाजार का तंत्र बनाने के लिए नीति की स्थिरता बड़ा प्रेरक कारक है।

नैसकॉम टेक्नोलॉजी लीडरशिप फोरम में भाटिया ने कहा कि नीति की सुनिश्चितता उन लाभों में से एक है, जो भारत को दूसरे कई विकासशील देशों की तुलना में हासिल है और जो इन कुछ बड़े विनिर्माण निवेशों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

इससे न केवल हमारे विनिर्माताओं को बल्कि मूल्य श्रृंखला के अन्य लोगों जैसे आपूर्तिकर्ताओं, ग्राहकों, विशेष सामग्रियों के आपूर्तिकर्ताओं, विशेष रासायनिक सेवाओं, इंजीनियरिंग, समर्थन और डिजाइन सेवाओं आदि के लिए निर्यात सक्षम बाजार बनाने में मदद मिलती है।

उन्होंने कहा कि नीति की यह सुनि​श्चितता न केवल अगले पांच वर्षों के लिए, बल्कि अगले 25 वर्षों के लिए आवश्यक है क्योंकि सेमीकंडक्टर ऐसा पूंजी प्रधान उद्योग है, जिसमें 15 से 20 साल में ही रिटर्न दिखता है।

उन्होंने कहा ‘हमारे आपूर्तिकर्ता बहुत समान और पूंजी प्रधान हैं तथा इन निवेशों पर रिटर्न 15 से 20 साल के बाद ही दिखाई देता है और इसलिए नीति की निश्चितता महत्त्वपूर्ण है। ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में यही हुआ है।’

उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग पिछले 60 वर्षों में 500 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। 500 अरब डॉलर का अगला बाजार अगले पांच वर्षों में हासिल किया जा सकता है। भाटिया ने कहा कि अगले पांच से 20 वर्षों में सेमीकंडक्टर उद्योग को सफल बनाने वाले सभी कारकों का निर्माण करने में सक्षम होने के लिए भारत के पास जबरदस्त अवसर हैं।

भाटिया ने कहा कि जब इतने बड़े सेमीकंडक्टर संयंत्र को स्थापित करने की चुनौतियों की बात आती है, तो बुनियादी ढांचे को भी विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर निर्माण बहुत जटिल होता है, यहां तक कि बिजली के उतार-चढ़ाव के एक सेकंड के अंश में भी लाखों डॉलर दांव पर लग सकते हैं।

भाटिया ने इस बात की पुष्टि की कि माइक्रॉन अगले साल की शुरुआत से साणंद संयंत्र में उत्पादन शुरू कर देगी। कंपनी अपने उन्नत डीरैम और नैन्ड उत्पादों की असेंबलिंग और परीक्षण कर रही है।

माइक्रॉन परियोजना के दो चरणों में 82.5 करोड़ डॉलर का निवेश कर रही है और अगले कई वर्षों में 5,000 नई प्रत्यक्ष नौकरियां तथा 15,000 सामुदायिक नौकरियां पैदा करेगी।

First Published : February 21, 2024 | 11:24 PM IST