प्रमुख आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस ने सलिल पारेख को फिर 5 साल की अवधि के लिए अपना प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी (एमडी एवं सीईओ) नियुक्त करने की घोषणा की है। कंपनी ने आज एक नियामकीय खुलासे में यह जानकारी दी। पारेख दूसरे कार्यकाल के लिए कंपनी की कमान संभालने वाले एकमात्र गैर-संस्थापक सीईओ होंगे।
कंपनी ने एक नियामकीय खुलासे में कहा है कि कंपनी के निदेशक मंडल ने नामांकन एवं पारिश्रमिक समिति (एनआरसी) की सिफारिश पर सलिल पारेख को 1 जुलाई, 2022 से 31 मार्च, 2027 की अवधि के लिए मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक पद पर दोबारा नियुक्त किया है। इसके लिए शेयरधारकों से मंजूरी लेना अभी बाकी है।
कंपनी यह भी घोषणा की है कि अगले कुछ वर्षों के दौरान वृद्धि को रफ्तार देने के लिए कंपनी के नेतृत्व की निरंतरता एवं प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए एनआरसी ने प्रमुख प्रबंधन से जुड़ छह व्यक्तियों को 1,04,000 शेयर और कंपनी के अन्य 88 वरिष्ठ अधिकारियों को 3,75,760 शेयर आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
प्रदर्शन से जुड़े इन शेयरों का आवंटन इन्फोसिस एक्सटेंडेड स्टॉक ओनरशिप प्लान 2019 के तहत किया जाएगा। यह योजना तीन वर्षों के दौरान उपलब्धियों के कुछ पड़ावों को हासिल करने में निहित होगी जो शेयरधारकों द्वारा मंजूर योजना के अनुरूप होगा।
पारेख के नेतृत्व में इन्फोसिस
साल 2018 में इन्फोसिस के बोर्ड में पारेख के शामिल होने के बाद से ही कंपनी लगातार वृद्धि दर्ज कर रही है। वित्त वर्ष 2022 के लिए कंपनी ने 16.3 अरब डॉलर का राजस्व दर्ज किया जो सालाना आधार पर 19.7 फीसदी अधिक है। यह पिछले एक दशक के दौरान कंपनी सर्वाधिक वृद्धि दर है। वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रुपये में कंपनी का राजस्व सालाना आधार पर 21.1 फीसदी बढ़कर 1,21,641 करोड़ रुपये हो गया।
पारेख की दोबारा नियुक्ति को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे कंपनी के शीर्ष स्तर पर निरंतरता सुनिश्चित होगी जिसकी फिलहाल बेहद आवश्यकता है। खास तौर पर उनके पूर्ववर्ती विशाल सिक्का को तकनीकी लिहाज से दूरदर्शी माना जाता था लेकिन उन्हें कंपनी प्रशासन एवं अन्य मुद्दों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। वह कंपनी के संस्थापकों का विश्वासपात्र भी नहीं रह गए थे।
सिक्का के मुकाबले पारेख गंभीर और समझदार सीईओ हैं जिन्होंने निष्पादन और बड़े सौदे, क्लाउड एवं डिजिटल वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हुए वृद्धि को रफ्तार दी है। इसके अलावा उन्हें व्यापक अनुभव भी प्राप्त है। इन्फोसिस की कमान संभालने से पहले वह कैपजेमिनाई के समूह कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थे जहां 25 वर्षों के दौरान उन्होंने कई मोर्चे पर नेतृत्व की भूमिका निभाई थी।
सिक्का के विपरीत पारेख कंपनी के संस्थापकों के साथ करीबी से काम करने में सफल रहे। खासकर इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणी के साथ मिलकर उन्होंने कंपनी के लिए आगे की राह निर्धारित की। इससे कंपनी को अन्य वैश्विक कंपनियों के समकक्ष खड़ा करने और डिजिटल बदलाव वाले सौदों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में मदद मिली।
पारेख के नेतृत्व में कंपनी बड़े सौदे हासिल करने की राह पर लौट आई। वित्त वर्ष 2018 में कंपनी का कुल टीसीवी 3 अरब डॉलर था। कंपनी अब प्रति तिमाही 2 से 2.5 अरब डॉलर टीसीवी के साथ कहीं अधिक टिकाऊ वृद्धि हासिल करना चाहती है।