भवीश अग्रवाल (Bhavish Agarwal) की इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र की स्टार्टअप ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) अगले महीने तक आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए आवेदन करने की तैयारी कर रही है। मामले से परिचित लोगों ने यह जानकारी दी है।
ओला इलेक्ट्रिक को आईपीओ (Ola Electric IPO) के लिए 20 जून को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) से आधिकारिक मंजूरी मिली थी। कंपनी 7,250 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। बाजार नियामक की मंजूरी के बाद ओला इलेक्ट्रिक आईपीओ लाने वाली पहली भारतीय ईवी कंपनी बनने जा रही है।
हालांकि एक संवादादाता सम्मेलन के दौरान पूछे जाने पर ओला इलेक्ट्रिक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भवीश अग्रवाल ने आईपीओ के लिए किसी खास समयसीमा के बारे में नहीं बताया। उन्होंने कहा कि कंपनी विभिन्न चरणों से गुजर रही है।
अग्रवाल ने शनिवार को मीडिया के साथ संवाद के दौरान कहा ‘हम कई चरणों से गुजर रहे हैं और मेरे लिए समयसीमा पर टिप्पणी करना कुछ जल्दबाजी होगी।’ उन्होंने कहा कि सेबी को अन्य दस्तावेज भी देखने हैं और चीजों को मंजूरी देनी है। सूत्रों के अनुसार इस पेशकश के जरिये ओला इलेक्ट्रिक की नजर छह से सात अरब डॉलर के मूल्यांकन पर है।
अग्रवाल आईपीओ में 3.48 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर 4.74 करोड़ शेयर बेचने की योजना बना रहे हैं। बिक्री करने वाले अन्य शेयरधारकों में इंडस ट्रस्ट, अल्पाइन ऑपच्युर्निटी फंड, डीआईजी इन्वेस्टमेंट, इंटरनेट फंड 3 (टाइगर ग्लोबल), मैकरिची इन्वेस्टमेंट्स, मैट्रिक्स पार्टनर्स, सॉफ्टबैंक विजन फंड, अल्फा वेव वेंचर्स और टेकने प्राइवेट वेंचर्स शामिल हैं।
आईपीओ के मसौदा दस्तावेज के अनुसार नए निर्गम से प्राप्त आय को पूंजीगत व्यय, ऋण चुकाने और अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए आवंटित किया जाएगा। जुटाई गई कुल पूंजी में से कंपनी ने पूंजीगत व्यय में 1,226 करोड़ रुपये का निवेश करने और ऋण चुकाने के लिए 800 करोड़ रुपये आवंटित करने की योजना बनाई है। उसका इरादा अनुसंधान एवं विकास पर 1,600 करोड़ रुपये और विस्तार पहल पर 350 करोड़ रुपये खर्च करने का है।
देसी सेल
सॉफ्टबैंक के निवेश वाली इस कंपनी की योजना अगले साल की शुरुआत तक अपने ईवी को अपनी ही लीथियम-आयन बैटरी सेल से चलाने की योजना है। इन सेल का विनिर्माण तमिलनाडु के कृष्णागिरी में अपनी नई स्थापित ‘ओला गीगाफैक्ट्री’ में किया जाएगा।
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार इससे आयात पर निर्भरता कम करने और ईवी उत्पादन की लागत कम करने में मदद मिलेगी। भारत के ईवी विनिर्माता कोरिया, चीन, जापान और ताइवान जैसे देशों से लीथियम-आयन बैटरी सेल पर निर्भर हैं।
अग्रवाल ने कहा ‘हम परीक्षण उत्पादन शुरू कर चुके हैं। वैश्विक स्तर पर केवल कुछेक देशों में ही गीगा फैक्ट्रियां हैं और उनमें से भी केवल कुछ कंपनियों के पास ही इस स्तर की उन्नत सेल तकनीक है। हमारा ध्यान अच्छी गुणवत्ता वाले सेल बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने पर है। हम विश्व स्तरीय प्रयोगशाला स्थापित करने और अपनी बौद्धिक संपदा विकसित करने में सक्षम रहे हैं।’
यह गीगा फैक्ट्री भारत में लीथियम-आयन सेल विनिर्माण के लिए अपनी तरह की पहली ऐसी फैक्ट्री है जिसकी शुरुआती क्षमता पांच गीगावॉट प्रति घंटा है। आगे चलकर इसे विभिन्न चरणों में बढ़ाकर पूर्ण क्षमता स्तर पर 100 गीगावॉट प्रति घंटा
किया जाएगा।