ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) उपभोक्ताओं को उस चार्जर की कीमत के लिए मुआवजा देने पर सहमत हो गई है, जिसे इलेक्ट्रिक स्कूटर के एक्स-फैक्टरी मूल्य में शामिल करने के बजाय ऐड-ऑन के रूप में अलग से बिल बनाया गया था।
ओला ने भारी उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में संकेत दिया है कि वह इस मुआवजे की पेशकश के निर्देश का पालन करेगी। अलबत्ता कंपनी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
अन्य तीन प्रमुख कंपनियों – एथर एनर्जी (Ather Energy), TVS और हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp) ने अब तक यह तय नहीं किया है कि इस कदम का अनुसरण करना है या नहीं। ओला इलेक्ट्रिक की तरह ये कंपनियां भी चार्जर के मसल पर जांच के दायरे में आई हैं और सरकार के साथ बैठकें भी कर चुकी हैं।
इलेक्ट्रिक स्कूटर विनिर्माताओं का कहना है कि स्कूटर के दामों में चार्जर को शामिल करने से उन्हें 50 करोड़ रुपये से 100 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे, जो कंपनी पर निर्भर करता है क्योंकि ग्राहकों को स्मार्ट फास्ट चार्जर के लिए 9,000 रुपये से लेकर 19,000 रुपये के बीच बिल चुकाना होता था।
इस मसले के केंद्र में सरकार की फेम-2 सब्सिडी का लाभ उठाने का उनका अधिकार है। अगर कंपनियां वाहन का एक्स-फैक्टरी मूल्य 1.50 लाख रुपये (इसका 40 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में दिया जाता है) की सीमा में रखती हैं, तभी वे इसकी पात्र होंगी।
लेकिन कंपनियां सहायक वस्तु के तौर पर चार्जर (और सॉफ्टवेयर) के लिए अलग से बिलिंग करते हुए इस सीमा भीतर रहती आ रही हैं, भले ही यह स्कूटर का अभिन्न अंग हो, जो इसके बिना शुरू भी नहीं होगा।
एक व्हिसिल ब्लोअर ने शिकायत की थी कि अगर वे चार्जर को एक्स-फैक्टरी की कीमत में शामिल करती हैं, तो कुल कीमत बढ़कर 1.90 लाख रुपये तक हो जाती, जिससे वे सब्सिडी के दायरे से बाहर हो जातीं। इसके परिणामस्वरूप भारी उद्योग विभाग ने जांच शुरू की और जनवरी से बेचे गए स्कूटरों के लिए सब्सिडी वितरण भी रोकना शुरू कर दिया।
हालांकि विभाग के साथ विचार-विमर्श के बाद OLA और Ather ने अप्रैल से चार्जर की कीमत एक्स-फैक्टरी कीमत में शामिल करने के आदेश का अनुपालन किया, भले ही इसका मतलब लागत वहन करना हो।
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उन्होंने अपनी ऑन-रोड कीमतों में भी कमी कर दीं ताकि वे 1.5 लाख रुपये की एक्स-फैक्टरी की सीमा के भीतर आ जाएं। इससे उन्हें अप्रैल से फेम-2 की सब्सिडी हासिल करने में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
जिस बात का हल नहीं निकला, वह यह थी कि उन ग्राहकों को किस तरह मुआवजा दिया जाए, जो पहले ही चार्जर के लिए भुगतान कर चुके हैं। भारी उद्योग विभाग ने कंपनियों से ग्राहकों को पैसा लौटाने के लिए कहा, जिसके बाद लंबित सब्सिडी जारी की जाएगी। ऐसा लगता है कि OLA इस आदेश का अनुपालन करने वाली पहली कंपनी है।