प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वाहनों के माइलेज पर एथनॉल मिश्रित पेट्रोल के दुष्प्रभावों पर चल रही चर्चा के बीच खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज कहा है कि भारत का चीनी क्षेत्र अब निर्यात के लिए वैश्विक बाजार में प्रवेश के जरिये जैव ईंधन की मांग बढ़ाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने डीजल में आईसोब्यूटेनॉल मिलाने की वकालत की है। भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ के सालाना भारत चीनी एवं जैव ऊर्जा सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में दोनों मंत्रियों ने यह बातें कहीं।
जोशी ने कहा कि न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी), गन्ने से उत्पादित एथनॉल की कीमतों में संशोधन और अक्टूबर से शुरू होने वाले चीनी सत्र में 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति जैसे मिल मालिकों की मांगें किसानों, उपभोक्ताओं और चीनी मालिकों के हितों में संतुलन बनाने के बाद पूरी की जाएंगी। उन्होंने मिल मालिकों से अपनी सिंगल फीड डिस्टिलरी को ड्युल फीड डिस्टिलरी में तब्दील करने का अनुरोध किया।
जोशी ने कहा कि केंद्र ने चीनी क्षेत्र की चिंताओं को दूर करने के लिए कई फैसले लिए हैं। इनमें एथनॉल गन्ना रस, सिरप, बी हैवी और सी हैवी शीरे का उत्पादन फिर से शुरू करना शामिल है। घरेलू खपत के लिए वास्तविक चीनी की उपलब्धता पर चिंताओं के कारण इस पर बीते दो वर्षों से रोक लगी थी।
इस बीच, गडकरी ने कहा कि भारत में चीनी का उत्पादन आवश्यकता से अधिक है और अब इसे कम करने की जरूरत है। इसके लिए भारत को चीनी की खपत के वैकल्पिक स्रोतों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने डीजल में मिश्रण के लिए आइसोब्यूटेनॉल के उपयोग को बढ़ाने का सुझाव दिया और कहा कि फिलहाल, डीजल में आईसोब्यूटेनॉल के 10 फीसदी मिश्रण के परीक्षण बहुत सफल नहीं हुए हैं मगर परीक्षण जारी है।
गडकरी ने डीजल के साथ मिश्रण के लिए आइसोब्यूटेनॉल के उपयोग को बढ़ाने का सुझाव दिया।
गडकरी ने कहा, ‘फिलहाल, भारत हर साल करीब 22 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करता है, जिसे आइसोब्यूटेनॉल का उपयोग कर बायोडीजल के व्यापक उपयोग के जरिये तेजी से कम करने की जरूरत है।’