रोसनेफ्ट में 19.75 फीसदी हिस्सेदारी छोडऩे संबंधी बीपी के निर्णय से भारत में रूस की प्रमुख तेल कंपनी के निवेश वाली न्यारा एनर्जी के परिचालन पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उद्योग सूत्रों का मानना है कि प्रतिबंधों का दीर्घकालिक परिचालन और भारत में कंपनी की निवेश क्षमता पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है। न्यारा एनर्जी में रोसनेफ्ट की करीब 49.133 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी के एक सूत्र ने कहा, ‘न्यारा एनर्जी में बीपी की कोई प्रत्यक्ष अथवा आनुपातिक हिस्सेदारी नहीं है। इसलिए न्यारा एनर्जी पर उसका कोई सीधा असर नहीं दिखेगा।’
न्यारा एनर्जी ने इस बाबत बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, ‘न्यारा एनर्जी अपने शेयरधारकों के कार्यों पर टिप्पणी नहीं करती है।’
बीपी के लिए रोसनेफ्ट उसके करीब आधे तेल एवं गैस भंडार और एक तिहाई उत्पादन का प्रतिनिधित्व करती है। कंपनी अपनी हिस्सेदारी छोडऩे के लिए करीब 25 अरब डॉलर के वित्तीय प्रभाव की उम्मीद करती है। न्यारा ने कहा है कि प्रतिबंधों के कारण उसकी विस्तार परियोजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी ने कहा, ‘न्यारा एनर्जी एक भारतीय कंपनी है जो देश में सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा एवं पेट्रोकेमिकल्स परिसर बनने के लिए अपनी वृद्धि योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हमने देश की बढ़ती ऊर्जा एवं पेट्रोकेमिकल जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने प्रयास निर्धारित किए हैं। पेट्रोकेमिकल कारोबार में विस्तार के मोर्चे पर हम लगातार प्रगति कर रहे हैं। ऐसा चरणबद्ध तरीके से हो रहा है जो हमारी परिसंपत्ति विकास रणनीति के अनुरूप है।’
न्यारा एनर्जी अपनी पेट्रोकेमिकल विस्तार योजनाओं में करीब 6,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रक्रिया में है। पिछले साल अगस्त में उसने 4,016 करोड़ रुपये के ऋण के लिए भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के एक कंसोर्टियम के साथ वित्तीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। कंपनी ने गुजरात में अपनी वाडिनार रिफाइनरी में एक पॉलिप्रोपिलीन संयंत्र स्थापित करने पर निवेश करने की योजना बनाई है। इस ऋण सुविधा के तहत अदायगी की अवधि 15 साल से अधिक है।
