एएमआई पार्टनर्स वैश्विक स्तर पर लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) में सूचना प्रौद्योगिकी, इंटरनेट और दूरसंचार के ट्रेंड के विश्लेषण एवं शोध में विशेषज्ञता रखती है।
न्यूयार्क की इस शोध फर्म ने 30 देशों में एसएमई को खंगाला है और अधिक खर्च करने वाली इकाइयों या क्लस्टरों की पहचान की है।
एएमआई ने एसएमई पर मौजूदा मंदी का असर पता लगाने के लिए दिसंबर, 2008 में भारत समेत आठ देशों में ‘क्वार्टर्ली पल्स’ नामक एक सर्वे शुरू किया। कंपनी के चेयरमैन एवं सीईओ अनिंद्य बोस ने एसएमई के विकास परिदृश्य के बारे में प्रदीप्ता मुखर्जी से विस्तृत बातचीत की।
‘क्वार्टर्ली पल्स’ क्या है?
एएमआई ने एसएमई पर मंदी के असर का पता लगाने के लिए क्वार्टर्ली पल्स नाम से त्रैमासिक सर्वेक्षण शुरू करने का फैसला किया था। हम उपयुक्त मानकों की तलाश करेंगे।
उदाहरण के लिए, संबद्ध तिमाही में एसएमई किस तरह से प्रभावित हुए हैं और अगली तिमाही के लिए उनकी क्या योजनाएं हैं, उनकी आईटी-आधारित योजनाएं क्या हैं, आदि को ध्यान में रख कर हम मानकों की तलाश करेंगे। हम अगले तीन महीनों में आईटी के प्रति लघु इकाइयों के रुझान का भी पता लगाएंगे।
आपके सर्वेक्षण में क्या सुझाव दिया गया है?
इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग 60 फीसदी इकाइयों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इनमें से ज्यादातर इकाइयां इस आशंका को लेकर डरी हुई हैं कि स्थिति और बद्तर हो सकती है।
हमारे सर्वेक्षण में खुलासा किया गया है कि 2008 और 2012 के बीच एसएमई 15 फीसदी की रफ्तार से विकास दर्ज करेंगे। हालांकि यह अनुमान हमारी शुरुआती भविष्यवाणी में 20 फीसदी था।
अगली कुछ तिमाहियों की रिपोर्टों में हम एसएमई विकास अनुमान में संशोधन कर सकते हैं।
क्या सर्वेक्षण में कोई सकारात्मक परिणाम सामने आया है?
बड़ी तादाद में छोटे भारतीय उद्यमी आईटी की राह अपनाने के लिए शुरुआती चरण में हैं। देश में लगभग 25 लाख गैर-पीसी लघु इकाइयां हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इनमें से करीब 22 फीसदी इकाइयों ने अगले साल के दौरान पहली बार कम्प्यूटरों पर खर्च करने की योजना बनाई है।
इससे सॉफ्टवेयर, सेवाएं, सुरक्षा जैसी अन्य आईटी श्रेणियों में भी खर्च को बढ़ावा मिलेगा।
मंदी से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
भारत में लगभग 40 लाख लघु इकाइयां हैं। इनमें से 50 फीसदी इकाइयां ट्रेवल और ऑफिस स्टेशनरी खर्च आदि में कटौती कर रही हैं या कटौती करने की योजना बना रही हैं। विपरीत सर्वेक्षण में शामिल लगभग 40 फीसदी इकाइयां प्रक्रिया की दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी की राह पर चलना चाहती हैं।
कुछ इकाइयां कस्टमर-रिलेशनशिप-मैनेजमेंट (सीआरएम) सॉल्युशन जैसे संचालनों की लागत घटाने के लिए कुछ खास प्रौद्योगिकयों को अपना रही हैं। सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी इकाइयों का कहना है कि वे रोजगार उत्पादकता में सुधार लाने के लिए निवेश करेंगी।
सर्वेक्षण में शामिल 90 फीसदी से अधिक लघु इकाइयों का कहना है कि वे मूल्य निर्धारण रणनीति में बदलाव कर, भुगतान की आसान शर्तों की पेशकश कर, उत्पादों के साथ छूट या उपहार देकर ग्राहकों को लुभाने का प्रयास कर रही हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर इकाइयां नई प्रौद्योगिकियों को अपनाए जाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही हैं।