मुश्किलों में फंसी रिटेलर कंपनी सुभिक्षा और कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय(ईपीएफओ) के बीच चल रही रस्साकशी में एक नया मोड़ आ गया है।
ईपीएफओ अब इस मामले में सुभिक्षा में सबसे बड़े हिस्सेदार आर सुब्रमण्यन के साथ-साथ 23 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली आईसीआईसीआई वेंचर पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। इस मामले में विभाग, इस दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदार कंपनी से भी पूछताछ कर सकता है।
दरअसल, मामला सुभिक्षा के कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) के लिए कंपनी द्वारा पैसा न जमा कराने से जुड़ा है। इस मद में जून से सितंबर 2008 तक कंपनी पर 1.76 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। दूसरी ओर, सुभिक्षा इस वक्त नकदी की किल्लत से जूझ रही है और पैसा जुटाने के प्रयासों में लगी है।
वहीं, आईसीआईसीआई वेंचर का इस मामले में कहना है कि आर सुब्रमण्यन की ही कंपनी में सबसे ज्यादा 59 फीसदी हिस्सेदारी है और शेयरधारकों के साथ हुए अनुबंध के तहत वही कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं।
कंपनी के रोजमर्रा के काम और दूसरी कई चीजें वहीं चला रहे हैं, इसलिए इस मामले में भी उनकी ही जिम्मेदारी बनती है। जबकि, सुब्रमण्यन का कहना है कि बोर्ड कंपनी के पूरे नियंत्रण में है और कंपनी की आर्थिक स्थिति के लिए वह पूरी तरह जिम्मेदार है।
इस मामले में ईपीएफओ ने पहले दौर की जांच पूरी कर ली है जिसमें दस्तावेजों की छानबीन, कंपनी के कर्मचारियों और प्रतिनिधियों से बातचीत भी शामिल है। चेन्नई में ईपीएफओ के एक अधिकारी के मुताबिक सुब्रमण्यन ने कहा है कि कंपनी पर केवल उनका ही नियंत्रण नहीं है।
इस बाबत इस अधिकारी का कहना है, ‘अगर उनका दावा सही साबित होता है तब इस मामले में आईसीआईसीआई वेंचर को भी तलब किया जाएगा। ‘
आईसीआईसीआई वेंचर की ओर से मामला देख रहे मणिलाल खेर अंबालाल एंड कंपनी के प्रबंध साझीदार विक्रम त्रिवेदी का कहना है कि इस मामले में क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने कंपनी के पूर्व निदेशकों के खिलाफ किसी भी तरह का मामला नहीं बताया है।
इसके लिए कंपनी के प्रबंध निदेशक आर सुब्रमण्यन ही पूरी तरह जिम्मेदार हैं। कंपनी के प्रबंध निदेशक आर सुब्रमण्यन का कहना है कि वह अपने निजी खाते से पीएफ के लिए पैसे का भुगतान करने के लिए तैयार हैं। लेकिन ईपीएफओ के सूत्रों के मुताबिक उनके खाते में महज 70 लाख रुपये ही हैं।