बढ़ते मामलों से दबा एनसीएलटी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:21 AM IST

राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के पास 5 जनवरी, 2020 के बाद से पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है। उसके बाद से पांच कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं जिनमें से चार तो पिछले महीने ही बनाए गए थे। ऐसा इसलिए हुआ कि इस पद पर सबसे बरिष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति होती है। इन्हें पदभार उस स्थिति के भी बावजूद दिया गया जब इनमें से एक का कार्यकाल पूरा होने में महज एक दिन शेष था जबकि अन्य का कार्यकाल पूरा होने में कुछ तीन दिन बचे थे।
एक ओर सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि एनसीएलटी और अपील अधिकरण – एनसीएलएटी के पास एक वर्ष से अधिक समय से अध्यक्ष और चेयरमैन नहीं हैं वहीं न्यायनिर्णायक प्राधिकारी के पास 20,000 से अधिक मामलों का ढेर लग गया है। इनमें से आधे से अधिक 13,000 मामले दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता (आईबीसी) के हैं।     
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अधिकरणों के लिए सुधार की जरूरत है। इन्हें बनाने के पीछे का विचार ट्रैक मामलों को तेजी से निपटाने का था। उनका ढांचा न्यायालयों से अगल बनाना पड़ेगा अन्यथा इनके काम में तेजी कैसे आएगी।’ एनसीएलटी के बचाव में बात करें तो 2016 में इसकी शुरुआत के बाद अधिकरण ने 56,000 से अधिक मामले निपटाए हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि केवल कंपनी कानून के मामलों को निपटाने के लिए एनसीएलटी की मंजूर की गई क्षमता 63 सदस्यों की थी। आईबीसी से संबंधित मामलों, विलयों एवं अधिग्रहणों और परिचालन तथा प्रबंधन मामलों के निपटारे के लिए फिलहाल 12 न्याययिक और 17 तकनीकी सदस्य हैं।
इनमें से आईबीसी के मामले एक निश्चित समयसीमा के अतिरिक्त दबाव वाले होते हैं जिनको एनसीएलटी न तो समय पर स्वीकार पाने और न ही समाधान योजनाओं को मंजूरी देने में सक्षम हो सका है। एक विधि विशेषज्ञ ने कहा, ‘एनसीएलटी का दायरा उसकी क्षमता से काफी अधिक बढ़ा दिया गया है।’
श्रम शक्ति के मामले को छोड़कर भी बात करें तो वकीलों और सरकारी अधिकारियों को लगता है कि एनसीएलटी के सदस्यों के पास कई बार वित्तीय मामलों के निपटारे के लिए विषय की विशेषज्ञता नहीं होती है। इस मामले के जानकार एक व्यक्ति नें कहा कि एनसीएलटी के पीठों में से एक पीठ ने एक उच्च स्तरीय आईबीसी मामले की सुनवाई करते हुए वकीलों से आधारभूत लेनदार-देनदार और ऋण इक्विटी अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए कहा।   एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एनसीएलटी को क्षेत्र के विशेषज्ञों की आवश्यकता है। ऐसे अफसरशाह भी कंपनी संबंधी मामलों में तकनीकी सदस्य बन जाते हैं जिन्होंने कभी भी कंपनी कानूनी मामलों को नहीं संभाला है। नियुक्तियां योग्यता नहीं, वरिष्ठता के आधार पर होती हैं।’

First Published : June 25, 2021 | 12:05 AM IST