क्रिसिल के मुताबिक खराब कर्ज और पुनर्गठित कर्ज मिलाकर भारत की वित्त कंपनियों की दबावग्रस्त संपत्तियां मार्च 2021 तक प्रबंधन के तहत संपत्ति के 6 से 7.5 प्रतिशत पर पहुंच सकती हैं। कुल मिलाकर यह संपत्ति 1.5 से 1.8 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है। इसमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति रियल एस्टेट सेग्मेंट में हो सकती है।
बहरहाल महामारी का असर कम करने के लिए एकमुश्त कोविड-19 पुनर्गठन विंडो और एमएसएमई पुनर्गठन योजना जैसे उठाए गए कुछ नियामकीय कदमों की वजह से सकल गैर निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) सीमित रहेगी।
क्रिसिल ने कहा है कि पहले के संकट के विपरीत मौजूदा चुनौतियां करीब सभी एनबीएफसी संपत्ति सेग्मेंट में महामारी के असर के कारण रही हैं।
अप्रैल-जून तिमाही के दौरान परिचालन करीब ठप रहा, जब आर्थिक गतिविधियां ठहरने के कारण संग्रह और कर्ज वितरण प्रभावित रहीं। उसके बाद से संग्रह में सुधार आया है। लेकिन एमएसएमई, असुरक्षित और थोक सेग्मेंट में अभी महामारी के पहले के स्तर पर नहीं पहुंचा है क्योंकि उधारी लेने वालों के नकदी के प्रवाह में अभी उतार चढ़ाव है। वहीं कुछ एनबीएफसी ने बेहतर जोखिम प्रबंधन और संग्रह की प्रक्रिया से संपत्ति की गुणवत्ता पर पडऩे वाला असर कम किया है।
क्रिसिल रेटिंग में सीनियर डायरेक्टर कृष्णन सीतारमण ने कहा कि इस वित्त वर्ष में एनबीएफसी के सामने अप्रत्याशित चुनौतियां आईं। तेज गिरावट के बाद अब संग्रह में सुधार हुआ है, लेकिन अभी महामारी के पहले के स्तर पर नहीं है।