रूस की ऊर्जा दिग्गज पीजेएससी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी से संबद्ध नायरा एनर्जी अपने डिबेंचर पर ज्यादा ब्याज देगी। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने और पश्चिमी देशों द्वारा रूस की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारतीय कंपनी को रोसनेफ्ट के समर्थन को लेकर उत्पन्न चिंताओं के उपरांत रेटिंग फर्म द्वारा इसके ऋण साधन की रेटिंग कम किए जाने से इसे अधिक ब्याज देना होगा।
बैंकिंग क्षेत्र के एक सूत्र ने कहा कि नायरा ने डिबेंचरधारकों को सूचित किया है कि उसके एनसीडी पर सालाना ब्याज दर 8.75 प्रतिशत से बदलकर सालाना 9 प्रतिशत कर दी गई है, जो 17 मार्च से प्रभावी है। यह 11 अगस्त, 2021 की इसकी डिबेंचर ट्रस्ट डीड की शर्तों के अनुसार था, जिसमें ऐसे एनसीडी की क्रेडिट रेटिंग कम किए जाने की स्थिति में एनसीडी पर ब्याज दरों में इजाफे का प्रावधान था। कंपनी ने 2,600 करोड़ रुपये के डिबेंचर जारी किए हैं।
नायरा ने ईमेल पर पूछ गए सवालों का जवाब नहीं दिया। दिलचस्प बात यह है कि युद्ध शुरू होने से ठीक पहले रोसनेफ्ट और अन्य शेयरधारकों ने कंपनी में 49 करोड़ डॉलर (3,720 करोड़ रुपये) का निवेश किया था ताकि यह भारतीय कंपनी अपना कर्ज कम कर सके। मार्च के अंत से पहले छह करोड़ डॉलर (456 करोड़ रुपये) की एक और किस्त की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और वैश्विक कोष हस्तांतरण प्रणाली स्विफ्ट से रूस के बहिष्कार के कारण इसमें देरी हो गई है। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के तुरंत बाद केयर रेटिंग्स ने बैंक गारंटी और डिबेंचर समेत नायरा की 32,000 करोड़ रुपये की बैंक सुविधाओं के संबंध में रेटिंग में परिवर्तन किया था। रोसनेफ्ट के ऋण प्रोफाइल पर इन प्रतिबंधों के असर पर विचार करते हुए रेटिंग में यह संशोधन किया गया था, जो वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रोसनेफ्ट की क्रेडिट रेटिंग में गिरावट किए जाने से भी परिलक्षित हो रहा था।
हालांकि केयर ने कहा था कि नायरा तत्काल निकट भविष्य में रोसनेफ्ट की ओर से परिचालन और वित्तीय सहायता पर निर्भर नहीं है, लेकिन इसने चेतावनी दी थी कि नायरा की प्रमुख शेयरधारकों में से एक होने की वजह से रोसनेफ्ट की मजबूती से इसे मिलने वाली सुविधा सीमित हुई है, साथ ही साथ वह दीर्घकालिक समर्थन भी सीमित हुआ है, जो रोसनेफ्ट की ओर से हासिल किया जाता।
नायरा में रोसनेफ्ट की 49.14 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि रूस की यूसीपी और व्यापारिक फर्म ट्रैफिगुरा के पास समान हिस्सेदारी है। बाकी हिस्सा एस्सार ऑयल के छोटे शेयरधारकों के पास हैं। वर्ष 2017 में रोसनेफ्ट के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने 13 अरब डॉलर में एस्सार ऑयल का अधिग्रहण किया था।
यह भारतीय कंपनी 6,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ जामनगर में एक नए पेट्रोकेमिकल कॉप्लेक्स में निवेश करने की योजना बना रही है। केयर ने 17 मार्च को एक बयान में कहा था कि पिछले साल 31 दिसंबर तक कंपनी के पास तकरीबन 6,915 करोड़ रुपये की नकदी और नकद के समकक्ष परिसंपत्ति थी तथा आहरित नहीं की गई 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की कार्यशील पूंजी सीमा थी।
कंपनी ने इस साल मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष में 4,925 करोड़ रुपये का ऋण चुकाया था।