दक्षिण अफ्रीकी दूरसंचार दिग्गज कंपनी एमटीएन ग्रुप को कब्जे में करने के लिए होड़ दिनोदिन तगड़ी होती जा रही है।
भारती एयरटेल तो इसके लिए कोशिश कर ही रही है, दो और दिग्गज कंपनियां एमटीएन पर डोरे डालने लगी हैं। सूत्रों के मुताबिक यूरोप की कंपनी डयूश टेलीकॉम और रूस की महारथी विंपेल कम्युनिकेशंस भी अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रही हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने जब इस बारे में डयूश टेलीकॉम की प्रवक्ता से बातचीत करने की कोशिश की, तो उसने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। विंपेल कम्युनिकेशंस ने भी इस बाबत भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।
भारती एयरटेल पहले ही कह चुकी है कि एमटीएन ग्रुप के अधिग्रहण के लिए वह बातचीत कर रही है। कंपनी उभरते हुए बाजार की दोनों बड़ी कंपनियों के तालमेल से तगड़ा मुनाफा कमाने की बात कह रही है।
यूरोपीय और रूसी कंपनियों के मुकाबले में आने की बात काफी अहम है क्योंकि भारती को इससे परेशानी हो चुकी है। एमटीएन के मुख्य कार्यकारी फुतुमा नेल्को ने जर्मनी की एक कारोबारी पत्रिका को पिछले दिनों साक्षात्कार में कहा भी था कि दूसरी कंपनियां होड़ में आ सकती हैं। उन्होंने कहा था, ‘यूरोपीय दूरसंचार कंपनियां आम तौर पर अफ्रीका में दिलचस्पी रखती हैं। इसलिए उनकी ओर से अधिग्रहण की कोशिश को मैं नकार नहीं सकता।’
विस्तार का जिक्र करने पर नेल्को ने कहा था कि एशिया में उनके लिए अच्छा बाजार है, जहां विलय के जरिये एमटीएन बड़ी भूमिका अदा कर सकती है। जाहिर है, अधिग्रहण के मामले में भारती और एमटीएन की भाषा काफी कुछ मिलती हुई लगती है।
इस बीच भारती एयरटेल के शीर्ष अधिकारी एमटीएन के साथ दूसरे दौर की बातचीत करने के लिए जोहानिसबर्ग जाने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें खुद कंपनी के मुखिया सुनील भारती मित्तल भी शामिल हैं। लेकिन कंपनी के प्रवक्ता ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
हालांकि जानकारों का कहना है कि दूसरे दावेदारों की बात एमटीएन जानबूझकर कह रही है। हो सकता है कि वह भारती को जल्दी से जल्दी कोई पुख्ता कदम उठाने के लिए मजबूर करना चाह रही हो।
इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात की बड़ी कंपनी एटिसालाट भी खुलेआम एमटीएन में अपनी दिलचस्पी जता चुकी है। कंपनी के चेयरमैन ने कहा था कि एमटीएन के लिए बोली लगाने के इरादे से वह उसकी कीमत तोल रहे हैं।