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मुकेश अंबानी की Reliance को बड़ा झटका! हाईकोर्ट ने कहा – सरकार को ₹14,000 करोड़ का नुकसान हुआ

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 के अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फैसले को खारिज किया, सरकार के पक्ष में सुनाया फैसला।

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वसुधा मुखर्जी   
Last Updated- February 14, 2025 | 7:31 PM IST

रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) और उसके विदेशी साझेदारों BP Plc (यूके) और Niko Resources (कनाडा) को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 2018 के अंतरराष्ट्रीय पंचाट (अरबिट्रेशन) के फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इन कंपनियों ने “धोखाधड़ी” और “अनुचित फायदा” उठाया, जिससे सरकार को ₹14,000 करोड़ (1.729 अरब डॉलर) का नुकसान हुआ।

क्या है पूरा मामला?

कहानी 2014 से शुरू होती है, जब सरकारी कंपनी ओएनजीसी (ONGC) ने रिलायंस पर आरोप लगाया कि उसने कृष्णा-गोदावरी (KG) बेसिन में उसके गैस भंडार से चोरी-छिपे गैस निकाल ली। ONGC का कहना था कि RIL ने अपनी KG-D6 साइट के पास कुएं खोदे और ONGC की फील्ड से गैस अपनी ओर खींच ली। यह सब 2009 से 2013 के बीच हुआ।

सरकार ने अमेरिकी फर्म डीगोलियर और मैकनॉटन (D&M) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए 2014 में RIL से ₹12,000 करोड़ की मांग की। रिपोर्ट में कहा गया था कि RIL के ड्रिलिंग ऑपरेशन की वजह से ONGC के गैस भंडार कम हो गए।

रिलायंस की सफाई क्या थी?

RIL का कहना था कि उसने कोई गलत काम नहीं किया और अपने प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSC) के नियमों का पालन किया। कंपनी ने कहा कि ONGC के ब्लॉक और उनके ब्लॉक अलग-अलग स्टेज में थे, इसलिए संयुक्त विकास संभव ही नहीं था।

कोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट के जस्टिस रेखा पल्लि और सौरभ बनर्जी की बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि 2018 का पंचाट का फैसला भारत की “सार्वजनिक नीति” के खिलाफ था, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

पहले, सिंगापुर के लॉरेंस बू की अध्यक्षता वाले पंचाट पैनल ने 2-1 के बहुमत से RIL के पक्ष में फैसला दिया था। उसमें कहा गया था कि PSC में कहीं भी यह नहीं लिखा कि प्रवाहित (migrated) गैस को निकालकर बेचना गलत है। लेकिन हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया।

First Published : February 14, 2025 | 7:27 PM IST