देश में तेल की खोज करने के क्षेत्र में बड़ी तेल कंपनियां भले ही तौबा कर रही हों लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की चढ़ती कीमतों का फायदा उठाने के लिए अब कई नई कंपनियां आगे आ रही हैं।
इनमें रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) और हैदराबाद स्थित वसुंधरा प्रोजेक्ट्स, हाइड्रोकार्बन रिसोर्स डेवलपमेंट (एचआरडी) और मीडिया हाउस दैनिक भास्कर जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा, इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी जीएमआर और जीवीके, जो दिल्ली और मुंबई में एयरपोर्ट विकसित करने में लगी हैं, उसने भी इस क्षेत्र में रुचि दिखाई है।
इन सभी कंपनियों ने न्यू एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (नेल्प 7) के तहत तेल और गैस ब्लॉक के लिए जियोलॉजिकल डाटा खरीदा है। इस डाटा के खरीद का मतलब है कि ये कंपनियां नेल्प के तहत तेल-गैस ब्लॉक की बोली में हिस्सा ले सकती हैं। देश की तेल कंपनियों को सलाह देने वाले दिल्ली स्थित एक विश्लेषक ने बताया कि रियल एस्टेट सेक्टर इन दिनों मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र की कंपनियां आय के दूसरे स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यही वजह है कि वे तले-गैस खंड में रुचि दिखा रही हैं।
वहीं ऑयल सर्विस कंपनियों के पास तेल उत्पादन का अनुभव है, यही वजह है कि ये कंपनियां तेल-गैस ब्लॉक को खरीदने का मन बना रही हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि बड़ी कंपनियों के इस क्षेत्र से दूर रहने के अंदेशे की वजह से साउथ ब्लॉक ने इन कंपनियों को मौका देने का इरादा किया है। नेल्प के नए चरण में पेट्रोलियम मंत्रालय ने छोटे ब्लॉक देने का मन बनाया है, जिसे एस-टाइप ब्लॉक का नाम दिया गया है।
इन ब्लॉक का क्षेत्रफल 30 वर्ग किलोमीटर से 200 वर्ग किलोमीटर रखा गया है, जबकि बड़े आकार के ब्लॉक का क्षेत्रफल 3000 से 4000 वर्ग किलोमीटर तक होता है। जानकारों का मानना है कि भले ही इन कंपनियों के पास तेल-गैस एक्सप्लोर करने का अनुभव न हो, लेकिन वे ब्लॉक खरीद की बोली में हिस्सा ले सकती हैं। सरकारी संस्था हाइड्रोकार्बन के अधिकारी का कहना है कि इन कंपनियों को तेल-गैस ब्लॉक खरीदने में वित्तीय मदद की जरूरत होगी।
मुंबई स्थित एक विश्लेषक का कहना है कि एस टाइप के ब्लॉक में तेल-गैस के कुछ कुओं को ड्रिल करने में तकरीबन 20 से 32 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। उसके बाद तेल और गैस के उत्पादन में और अधिक खर्च आएगा। इसके साथ ही इन कंपनियों को इस क्षेत्र में पहले से मौजूद कंपनियों से कड़ी चुनौती मिल सकती है। आईओसी और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन भी एस ब्लॉक की बोली में हिस्सा लेने का मन बना रहे हैं।