मुकदमेबाजी से प्रक्रिया में देरी होने के कारण दिल्ली स्थित दिवालिया रियल एस्टेट फर्म जेपी इन्फ्राटेक के ऋणदाता 22,600 करोड़ रुपये के ऋण समाधान के लिए 31 मार्च की निर्धारित तिथि से चूक गए हैं।मामले की सुनवाई 4 अप्रैल को एनसीएलटी के दिल्ली के प्रधान पीठ द्वारा की जाएगी। इस घटनाक्रम के एक करीबी सूत्र ने कहा कि जेपी अगस्त 2017 में ऋण समाधान के लिए भेजी जाने वाली पहली कंपनियों में से एक थी। दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता-2016 के तहत निर्धारित छह महीने की अंतिम तिथि के बजाय अब इस समाधान में पांच साल तक की देर हो गई है।
सुरक्षा रियल्टी ने पिछले साल जून में सरकार के स्वामित्व वाली एनबीसीसी इंडिया की 6,536 करोड़ रुपये की पेशकश के मुकाबले बोली जीतने वाली 7,736 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। इसके बाद सुरक्षा की इस पेशकश को लेनदारों की समिति (सीओसी) द्वारा मंजूरी दे दी गई थी तथा स्वीकृति के लिए एनसीएलटी के पास भेज दिया गया था।
सूत्र ने कहा कि बड़ी ‘हेयरकट’ के बावजूद ऋणदाता मार्च तिमाही में समाधान पूरा होने और अपनी पूंजी मुक्त किए जाने की उम्मीद कर रहे थे। हेयरकट वह राशि है, जिसे बैंक चूक वाले ऋण खाते को नियमित करने के लिए छोड़ देते हैं। सूत्र ने कहा कि लेकिन आईसीआईसीआई बैंक, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी और इसकी मूल फर्म जयप्रकाश एसोसिएट्स की ओर से की गई आपत्तियों के कारण एनसीएलटी में प्रक्रिया में देरी हो गई है। आईसीआईसीआई बैंक सुरक्षा रियल्टी द्वारा समाधान योजना में प्रस्तावित भूमि के बदले नकदी की मांग कर रहा है। जेपी इन्फ्राटेक, जिसके पास दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे और एक्सप्रेसवे की दोनों ओर की जमीन है, भी बुकिंग राशि लेने के बाद घरों की डिलिवरी करने की समय सीमा से चूक गई है।