नीति आयोग ने सरकार को संभावित निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की करीब 12 कंपनियों की पहली सूची सौंपी है। माना रहा है कि सरकार इसके साथ अपनी निजीकरण योजना पर आगे बढ़ सकती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग की सूची में रणनीतिक क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम भी शामिल हैं। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश पर सचिवों का मुख्य समूह (सीजीडी) इस सूची पर चर्चा करेगा। उन्होंने कहा कि इस सूची में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और बीमा कंपनियां शामिल हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण करने की घोषणा की थी।
आत्मनिर्भर भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की नई नीति के अनुसार नीति आयोग को संभावित निजीकरण या विलय के लिए रणनीति क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों के नामों की सिफारिश करनी होती है।
नियामकीय प्राधिकरण के तौर पर काम करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों जैसे स्वायत्त संस्थान, न्यास और अन्य डेवलपमेंट फाइनैंस इंस्टीट्यूशंस जैसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आदि इस सूची से बाहर रखे गए हैं। गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में आतिथ्य एवं इस्पात सहित अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण होगा या ये बंद कर दिए जाएंगे।
नीति आयोग की सिफारिशों पर सीजीडी द्वारा विचार किए जाने के बाद कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति अपने सुझाव अल्टरनैटिव मैकेनिज्म (एएम) को देगी। एएम में वित्त मंत्री, प्रशासनिक सुधार मंत्री और सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री शामिल हैं। एएम से अनुमति मिलने के बाद दीपक मामला-दर-मामला आधार पर खास सार्वजनिक उपक्रमों में की रणनीतिक बिक्री के लिए आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल की समिति से सैद्घांतिक मंजूरी प्राप्त करेगा।
रणनीतिक विनिवेश के लिए सार्वजनिक उपक्रमों का चयन संबंधित क्षेत्रों की स्थिति, प्रशासनिक संभाव्यता और निवेशकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। केंद्रीय बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण का प्रस्ताव दिया गया था और उसके बाद यह ऐसे उपक्रमों की पहली सूची होगी। इससे अब सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा और सरकार को सरकार को अगले वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये प्राप्त करने का लक्ष्य हासिल करने में भी आसानी होगी।