देश भर में कोविड के मामले बढ़े हुए हैं, वहीं देश की निजी क्षेत्र की शीर्ष जीवन बीमा कंपनियों ने भविष्य के कोविड से जुड़े दावों के लिए प्रॉविजन पूल कम कर दिया है। इसकी वजह यह है कि कोरोना के पहले के म्यूटेशन की तुलना में इस बार मृत्यु दर कम है। ऐसे में कंपनियां किसी भी तरह की देनदारी होने पर वे भुगतान करने में सक्षम रहेंगी। अभी देश में कोरोना चरम पर नहीं पहुंचा है और देश की आबादी के एक हिस्से का टीकाकरण नहीं हुआ है या आंशिक टीकाकरण हुआ है।
वित्त वर्ष 2021-22 की अक्टूबर दिसंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) के अंत में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (आईसीआईसीआई प्रू लाइफ) के पास 203.35 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रिजर्व था। एसबीआई लाइफ के पास 266.09 करोड़ रुपये और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (एचडीएफसी लाइफ) के पाक 105 करोड़ रुपये भविष्य के कोविड दावों के लिए था।
वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के अंत में आईसीआईसीआई प्रू लाइफ के पास भविष्य के कोविड दावों के प्रॉविजन के तहत 498 करोड़ रुपये थे। यह वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के अंत में घटकर 412.06 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह एचडीएफसी लाइफ के पास पहली तिमाही के अंत में 700 करोड़ रुपये अतिरिक्त मॉर्टलिटी रिजर्व था, जो दूसरी तिमाही के अंत में घटकर 204 करोड़ रुपये हो गया। वहीं दूसरी तरफ एसबीआई लाइफ का पहली तिमाही के अंत में रिजर्व 444.72 करोड़ रुपये था, जो आने वाली तिमाहियों में घटकर 266.09 करोड़ रुपये हो गया। एचडीएफसी लाइफ में मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक विभा पाडलकर ने कंपनी के परिणाम के बाद बातचीत में कहा, ‘हमारे यहां बढ़े दावे नहीं आ रहे हैं। वहीं ओमीक्रोन प्रभावित देशों दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका या ब्रिटेन में मृत्यु दरों में तेजी की खबर नहीं आई है।’ उन्होंने दावों के हिसाब से भुगतान के लिए पर्याप्त धन होने का भरोसा जताया।
आईसीआईसीआई प्रू लाइफ के मुख्य वित्त अधिकारी सत्यन जंबूनाथन ने कहा, ‘अन्य देशों से जो अनुभव सामने आया है, उससे पता चलता है कि पहले के वैरिएंट की तुलना में ओमीक्रोन से मृत्यु दर कम है। भारत में अभी तीसरी लहर चरम पर नहीं है। अभी बड़ी आबादी का टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे में हमारा मानना है कि हमें कोविड के भविष्ट के दावों के लिए प्रावधान रखने की जरूरत है।’