कृष्णा-गोदावरी बेसिन से उत्पादन में अभी देर होगी। अब रिलायंस इंडस्ट्रीज यहां से उत्पादन अगले महीने के मध्य तक शुरू करेगी। पहले कंपनी की योजना मार्च के मध्य तक उत्पादन शुरू करने की थी।
कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि, ‘हम तैयार हैं। तकनीकी परिक्षण लगभग पूरे हो चुके हैं और पाइपलाइन को अब जामनगर रिफाइनरी के साथ जोड़ने का काम चल रहा है। उम्मीद है कि हम महीने भर के भीतर ही उत्पादन करना शुरू कर देंगे।’
पेट्रोलियम सचिव आर. एस. पांडे ने पिछले महीने कहा था कि कंपनी इस महीने के पहले हफ्ते में केजी बेसिन से ट्रायल प्रोडक्शन शुरू कर सकती है। हालांकि, आरआईएल ने उत्पादन शुरू करने की तारीख के बारे में अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि, ‘हमें उत्पादन शुरू करने को लेकर अब तक तकनीकी टीम से मंजूरी नहीं मिली है। इस मंजूरी के मिलने के बाद ही हम उत्पादन शुरू करने की तारीख के बारे में घोषणा करेंगे।’ सूत्रों का कहना है कि अब सिर्फ 100 किमी लंबे पाइपलाइन का ही परीक्षण बाकी रह गया है। साथ ही, महाराष्ट्र में सिर्फ एक किमी के पाइपलाइन को बनाने का काम बाकी रह गया है।
पिछले तीन महीने से रिलायंस इंडस्ट्रीज 1,440 लंबे ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन को टेस्ट करने के लिए गेल की गैस का इस्तेमाल कर रही थी। आंध्र प्रदेश के काकीनाडा से गुजरात के भरूच तक लंबी यह पाइपलाइन देश की सबसे लंबी गैस पाइपलाइन है। यह पाइपलाइन बंगाल की खाड़ी की केजी बेसिन स्थित दुनिया के सबसे बड़े गैस भंडार से गैस जामनगर में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी तक लेकर जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने इस पाइपलाइन के गुजरात के वलसाड से अंकोट तक के पहले हिस्से का परीक्षण पिछले साल जून में शुरू किया था। वलसाड से महाराष्ट्र के कल्याण तक के दूसरे हिस्से का परीक्षण भी अगले एक महीने में शुरू हो गया था।
इस पाइपलाइन को बनाने का काम मुकेश अंबानी समूह की ही एक दूसरी कंपनी रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर कर रही है। इस कंपनी ने भरुच के भदभुत से जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी तक गैस ले जाने के लिए गुजरात स्टेट पेट्रोनेट (जीएसपीएल) के साथ समझौता किया है।
कंपनी भरुच तक गैस लेकर आएगी और उसके आगे जीएसपीएल गैस ले जाने के लिए अपने भरुच-राजकोट पाइपलाइन का इस्तेमाल करेगी। साथ ही, वह इसके लिए जामनगर में नए पाइपलाइनों को भी बिछाएगी। सूत्रों की कहना है कि रिलायंस की यह पाइपलाइन, गेल की हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन और दहेज-विजयपुर पाइपलाइन से भी जुड़ी हुई होगी।
इसके अलावा यह दहेज-उरन और दाभोल-पनेल पाइपलाइनों से भी जुड़ी हुई होगी। काकीनाडा में यह पाइपलाइन केजी बेसिन के ओदुरू इलाके से गैस लेगी। इस काम में 1,500 मजदूर काम कर रहे हैं, जिसमें से कई चीन के कुशल कामगार हैं। कंपनी शुरुआत में आठ कुंओं से गैस का उत्पादन करेगी।
उसका शुरुआती उत्पादन पांच एमएमएससीएमडी (मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर्स पर डे) होगा। जुलाई के अंत तक यह बढ़कर 40 एमएमएससीएमडी हो जाने की उम्मीद है। अपने उच्चतम स्तर पर आने के बाद इसका उत्पादन 120 एमएमएससीएमडी तक हो जाने की उम्मीद है।
इस बीच उर्वरक कंपनियों को उम्मीद है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से समझौते का मसौदा अलगे हफ्ते मिल जाएगा। उन्हें उम्मीद है कि गैस उन तक अप्रैल या मई में पहुंचनी शुरू हो जाएगी। हालांकि, इसका फायदा कुछेक कंपनियों को ही मिल पाएगा।
इन कंपनियों में चंबल फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल्स, इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (एफको), आईआईएफसीओ, कृषक भारती को-ऑपरेटिव लि. टाटा फर्टिलाइजर्स और इंडो गल्फ फर्टिलाइजर्स शामिल हैं।
इफको के प्रबंध निदेशक यू. अवस्थी का कहना है कि, ‘कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर हम आरआईएल के साथ सहमत नहीं हैं। हम उर्वरक उत्पादकों के साथ इस बाबत बात कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह मामला अगले हफ्ते तक सुलझ जाएगा। हमें मई से गैस मिलने की उम्मीद है।’
