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आर्थिक मंदी आई तो अपराधियों की भी बन आई

Last Updated- December 08, 2022 | 1:08 AM IST

पूरी दुनिया में जैसे-जैसे वित्तीय मंदी का साया बढ़ता जा रहा है, साइबर अपराधों में भी इजाफा हो रहा है।


मुमकिन है कि ऐसा ही कोई साइबर अपराधी किसी फर्जी ईमेल के जरिए आपके ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड का पता कर ले। मिसाल के तौर पर इस वाकये को ही लें पांच साइबर चोरों के एक नेटवर्क ने नोएडा के बिजनेसमैन के खाते में 1.66 करोड़ की सेंध मारी लेकिन वे पकड़े गए।

वे दरअसल इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते थे। इसके जरिए वे लोग उस बिजनेसमैन के पंजाब नेशनल बैंक की नोएडा शाखा के खाते से पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कर देते थे। पुलिस को केवल 55 लाख रुपये ही मिल पाए। उसके बाद लोगों को सूचित करके यह बताया गया कि वे अपने ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड को जल्दी-जल्दी बदला करें।

एक बहुत जानी-मानी सुरक्षा सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी मैसेज लैब्स की एक रिपोर्ट की मानें तो आप पाएंगे कि ऐसे साइबर अपराधों में अगस्त और सितंबर के बीच 16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और सितंबर और अक्टूबर के बीच 103 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस तरह के ज्यादातर साइबर अपराध लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए किए गए थे।

साइबर अपराधियों ने वॉलस्ट्रीट के बैंक ऑफ अमेरिका, वाकोविया, चेस, मैनहट्टन, वाशिंगटन म्युचुअल और ब्रिटेन के बैंक जैसे लॉयड्स टीबीएस और आरबीएस के  नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाया। स्पैम मेल के जरिए भी लोगों को ठगा जाता है।

स्पैम मेल से किसी चीज को गिरवी रखने, कर्ज देने, के्रडिट के अलावा और दूसरी वित्तीय सलाह के नाम पर लोगों को निशाना बनाया जाता है।सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून के विशेषज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं, ‘शेयर बाजार की गिरावट और फर्जी मेल की बढ़ोतरी में एक अनोखा संबंध दिखता है।’

दुग्गल का कहना है कि उन्हें खुद एक दिन में लगभग 7 फर्जी मेल मिलते हैं। हाल में, सिक्योरिटी फर्म सिमैंटेक की एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के अंतिम छह महीने के दौरान भारतीय बैंकों में 400 से भी ज्यादा अनोखी फर्जी मेलों के जरिए साइबर अपराध की कोशिश की गई थी।

इनमें से कई साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए डॉट जीओवी सर्वर का इस्तेमाल भी किया गया था।अब इस तरह के काम करने वाले चालबाज लोग पैसे बनाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

वैसे यह तो मानना ही होगा कि सामान्य परिस्थितियों में लोग बहुत ज्यादा सतर्क होते हैं। दुग्गल का कहना है, ‘जब कभी कहीं कोई बैंकिंग संकट आता है, तब एक ईमेल से आपको यह सूचना मिलती है कि आप अपने अकाउंट की सुरक्षा के लिए अपना पासवर्ड बदल दें। ऐसी सूचना से हो सकता है कि यूजर घबराहट में एक लिंक पर क्लिक कर दें और हैकर बड़ी आसानी से उसके खाते का पैसा ऑनलाइन ही निकाल लें।’

बैंक के ग्राहकों के साथ काम करने वाले पेनटरेशन टेस्टर्स ने यह पुष्टि की है कि इस वक्त बैंकिंग की हालत बेहद नाजुक होने से चिंतित बैंक कर्मचारियों को बेवकूफ बनाना बहुत आसान हो जाता है। एक पेनटेरेशन टेस्टिंग फर्म एफ-सीक्योर के सेल्स डायरेक्टर पालकीर्ति वेनु का कहना है कि आर्थिक मंदी के इस माहौल में स्पीयर फिशिंग जैसे ऑनलाइन अपराध बहुत आसान हो जाते हैं।

उनका कहना है, ‘हम वित्तीय बाजार के बारे में ताजा जानकारी के लिए फोनी ईमेलों में भी बढ़ोतरी देख सकते हैं। इसके अलावा आप इसमें एक लिंक भी पाएंगे जिससे आपको यह सूचना मिलेगी कि उनका बैंक इस मंदी के संकट में भी अपने प्रतियोगियों के मुकाबले कितना बेहतर काम कर रहा है।’

 साइबर अपराध केवल ब्राउजर या वेब तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब इसमें फर्जी स्प्रेडशीट, पीडीएफ और वर्ड फाइल के अटैचमेंट भी इस तरह के संकट या बैंक से जुड़ी जानकारियां देते हैं। फिक्की की आईटी सेल के चेयरमैन विजय मुखी का कहना है, ‘साइबर अपराध ऐसे समय पर काफी बढ़ने लगते हैं।

First Published - October 24, 2008 | 10:17 PM IST

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