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तेल कंपनियों को राहत की आस

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:46 PM IST

तेल की कीमतों में तेजी के रुख को देखते हुए रिजर्व बैंक घरेलू कंपनियों को  तेल की खरीदारी में हेजिंग की अनुमति देने की योजना बना रहा है।


 गौरतलब है कि भारतीय तेल कंपनियां विदेशों से कच्चा तेल आयात कर देश में उसका शोधन करती है। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय कंपनियां भारतीय तेल उत्पादक कंपनियों से खरीद करती हैं और हाजिर मूल्य के हिसाब से पैसा अदा करती हैं। वे रिजर्व बैंक की अनुमति के बगैर अपनी जरूरतों को हेजिंग नहीं कर सकती हैं।
हालांकि जब तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, तब रिजर्व बैंक की ओर से हेजिंग की अनुमति देने की योजना बनाई जा रही है।


अगर भारतीय तेल कंपनियों को रुपये में तेल का भुगतान प्राप्त हुआ, तो तेल के दाम में और उतार-चढ़ाव आ सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत डॉलर में आंकी जाती है। रिजर्व बैंक की ओर से प्र्रस्तावित नियम में यह प्रावधान है कि कोई भी भारतीय कंपनियां अगर घरेलू तेल कंपनी से खरीदारी करती है, तो वह बिना रिजर्व बैंक की अग्रिम अनुमति के अपने भुगतान को हेज कर सकती हैं।


शुरुआत में तेल कंपनियां पिछले वित्तीय वर्ष के कारोबार से प्राप्त राशि के 50 फीसदी को ही हेज कर सकती हैं। इसके साथ ही अगले एक साल की अवधि के लिए करार कर सकती है। उल्लेखनीय है कि इसकी घोषणा  अक्टूबर 2007 में मिड टर्म मौद्रिक नीति की समीक्षा के समय ही हो गई थी, लेकिन रिजर्व बैंक से इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश की अनुमति मिलनी बाकी थी।


 इसी तरह, तेल विपणन कंपनियों को अपने शोधन मार्जिन को हेज  करने की अनुमति नहीं होगी और वे रिजर्व बैंक की अग्रिम अनुमति के बगैर डॉलर में ही कारोबार कर सकेंगे। रिफाइनरी मार्जिन में लाभ कच्चे तेल के भाव पर निर्भर करता है। ऐसे उत्पादों में डीजल, पेट्रोल और हीटिंग ऑयल शामिल हैं। इस नियम को लागू करते हुए रिजर्व बैंक ने जोखिम प्रबंधन के लिए बैंकों की एक सूची जारी की है। ये बैंक रिजर्व बैंक  की अग्रिम अनुमति के बगैर तेल कंपनियों की ओर से भविष्य में आपूर्ति के लिए किए गए करार में मदद कर सकती है।

First Published : March 19, 2008 | 11:11 PM IST