प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
पिछले वित्त वर्ष में मध्य स्तर वाली आईटी फर्मों ने अपनी बड़ी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में वृद्धि के बेहतर आंकड़े दर्ज किए हैं। यह बात अनिश्चित व्यापक आर्थिक माहौल में बेहतर तरीके से आगे बढ़ने की उनकी क्षमताओं को उजागर करती है। अलबत्ता यह सवाल बरकरार है कि क्या वे इस साल भी वृद्धि की उस रफ्तार को कायम रख पाएंगी।
पर्सिस्टेंट सिस्टम्स, कोफोर्ज, केपीआईटी और एमफैसिस जैसी ज्यादातर कंपनियां कुछ ऐसे खास कारोबारों और उद्योगों पर ध्यान देती हैं, जो उन्हें क्लाइंट माइनिंग (मौजूदा ग्राहकों से ज्यादा काम हासिल करना) और मौजूदा ग्राहकों से ज्यादा कमाई के लिहाज से और आगे बढ़ने की अनुमति प्रदान करते हैं।
उदाहरण के लिए केपीआईटी ज्यादातर वाहन क्षेत्र पर ध्यान देती है, जबकि पर्सिस्टेंट बैंकिंग वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई), स्वास्थ्य देखभाल और लाइफ साइंस तथा सॉफ्टवेयर, हाई-टेक और उभरते उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करती है। ऐसे समय में जब मांग नरम है और ग्राहक खर्च धीमा हो गया है, पर्सिस्टेंट का चौथी तिमाही का राजस्व तकरीबन 21 प्रतिशत बढ़कर 37.5 करोड़ हो गया, जबकि समूचे साल की वृद्धि करीब 19 प्रतिशत रही। कार्लाइल के निवेश वाली हेक्सावेयर ने अपनी पहली तिमाही के दौरान 12 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि दर्ज की, जबकि केपीआईटी के चौथी तिमाही के राजस्व में 16 प्रतिशत का इजाफा हुआ। कोफोर्ज का पूरे साल का राजस्व 31.5 प्रतिशत बढ़ा, जबकि चौथी तिमाही का राजस्व एक साल पहले की तुलना में 43.6 प्रतिशत रहा।
बीएनपी पारिबा ने पिछले महीने नोट में लिखा था, ‘पिछले दो साल के दौरान व्यापक आर्थिक हालात की चुनौतियों और हाल की तिमाही में डीओजीई संबंधित प्रभाव के बावजूद पर्सिस्टेंट ने लगातार ठोस राजस्व वृद्धि का प्रदर्शन दिखाया है। हम वृद्धि के संचालकों को विविधता करते हुए और व्यापक आर्थिक अनिश्चितताओं से अलग होते हुए देख रहे हैं। हाल की तिमाहियों ने यह भी प्रदर्शित किया है कि कंपनी मार्जिन विस्तार की पटरी पर लौट आई है।’
इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष के दौरान टीसीएस और इन्फोसिस की पूरे साल की राजस्व वृद्धि 4.2 प्रतिशत रही, जबकि चौथी तिमाही का राजस्व क्रमशः 1.4 प्रतिशत और 3.6 प्रतिशत बढ़ा था। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि मध्य स्तर वाली ज्यादातर कंपनियों का राजस्व एक अरब डॉलर से कुछ ज्यादा है, जबकि टीसीएस और इन्फोसिस का राजस्व करीब 30 अरब और 20 अरब डॉलर है।
एवरेस्ट ग्रुप के संस्थापक और कार्यकारी चेयरमैन पीटर बेंडर-सैमुअल का कहना है कि मध्य स्तर वाली इन कंपनियों में कुछ ने बड़ी कंपनियों की तुलना में एआई को ज्यदा तेजी से तथा ज्यादा कारगर तरीके से अपनाया है। उन्होंने कहा, ‘ये कंपनियां परिचालन प्रारूप को चुनौती देने से नहीं डरती हैं तथा बड़ी कंपनियों की तुलना में कहीं अधिक आगे बढ़ी हैं। अन्य कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि वे ज्यादा आकर्षक उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करती हैं और बड़ी कंपनियों की तरह कमतर प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों की समस्या नहीं है।’
एमफैसिस के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक नितिन राकेश इन टिप्पणियों से सहमत हैं। उन्होंने वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही के अपने परिणामों के बाद बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘एआई में हमारा शुरुआती निवेश, जो 2015-16 में हमारी पहली एआई लैब की स्थापना के साथ शुरू हुआ था, परिणाम दिखा रहा है। हम एमफैसिस.एआई को कारोबारी इकाई के रूप में पेश करने वाली पहली कंपनी थे।’