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स्पैम मेल में भी आगे बढ़ रहा है भारत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 5:47 AM IST

स्पैम मेल भेजने के लिहाज से भी भारत तरक्की करता जा रहा है। इस सूची में भारत 10 वें पायदान पर पहुंच गया है।


सिमेंटक कॉर्पोरेशन ने छिपी हुई अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में यह बात निकलकर सामने आई है कि जुलाई 2007 से जून 2008 के बीच देश के अगुआ बैंकों के ग्राहकों को 1,000 से भी ज्यादा स्पैम मेल भेजे गए। इस तरह से देखा जाए तो स्पैम मेल भेजने का कारोबार बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

सिमेंटक कॉर्पोरेशन ने छिपी हुई अर्थव्यवस्था की जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें दुनिया भर में बढ़ रही छिपी हुई अर्थव्यवस्था का भी इस अवधि में आंकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में छुपी हुई अर्थव्यवस्था में इस अवधि के दौरान तकरीबन 276 मिलियन डॉलर का विज्ञापन हुआ।

इसमें इस बात का भी उल्लेख है कि सितंबर 2008 तक दुनिया के कुल कंप्रोमाइज्ड कंप्यूटर्स का 6 फीसदी भारत में मौजूद है।

सिमेंटक  कॉर्पोरेशन के भारतीय परिचालन के वाइस प्रेसीडेंट शांतनु घोष कहते हैं, ‘छुपी हुई अर्थव्यवस्था में तेजी से धन बनाया जा रहा है। देश में जैसे-जैसे इंटरनेट उपभोक्ता बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे स्पैम मेल भेजने का दायरा भी बढ़ रहा है। इस तरह इनका कारोबार बढ़ने पर है। छुपी हुई अर्थव्यवस्था में स्पैम और फिशिंग का बहुत ज्यादा चलन होता है। ‘

इस रिपोर्ट में जाने माने भारतीय बैंकों के ग्राहकों को एक साल में मिले एक हजार स्पैम मेल का अवलोकन किया गया। इसके अलावा इस रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि स्पैम मेल भेजने वाले 600 फिशिंग यूआरएल का देश में आई पी एड्रेस भी है।

घोष कहते हैं, ‘ स्पैम मेल भेजने में आई तेजी से भारत 15 वें स्थान से छलांग लगाकर 10 वें पायदान पर आ गया है जबकि इस फेहरिस्त में अमेरिका अभी भी सबसे ऊपर बना हुआ है।’ सिमेंटक की टीम ने एक बात का और पता लगाया कि दुनिया के कुल कंप्रोमाइज्ड कंप्यूटर का 6 फीसदी भारत में मौजूद है।

इन कंप्यूटरों को ‘जोंबी मशीन ‘ भी कहा जाता है। घोष कहते हैं, ‘जहां तक जोंबी मशीन की बात है तो इस लिहाज से भारत टॉप 10 देशों की सूची में आता है।’

रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि छुपी हुई अर्थव्यवस्था में इंटरनेट रिले चैट (आईआरसी) का भी बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। दुनिया भर में शैडोक्रू, ग्रिफ्टर्स, कार्डर्समार्केट, कार्डरप्लैनेट और रशियन बिजनेस नेटवर्क जैसे समूह हैं जो छुपी हुई छुपी हुई अर्थव्यवस्था से जुड़ी गतिविधियां चलाते हैं।

First Published : November 27, 2008 | 11:15 PM IST