Apple Inc के वेंडर समेत मोबाइल डिवाइस कंपनियों को इस समय चीन से एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चीन से iPhone बनाने के लिए आवश्यक मशीनरी के आयात की अनुमति में लगातार हो रही देरी ने चिंता बढ़ा दी है। अगर यह देरी जारी रहती है, तो न केवल अपकमिंग iPhone 17 के लॉन्च पर असर पड़ सकता है, बल्कि भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग को दोगुना करने की Apple की संभावित योजना भी प्रभावित हो सकती है। कंपनी का लक्ष्य था कि भारत से उत्पादन बढ़ाकर अमेरिका में iPhone की मांग को पूरा किया जाए, ताकि चीन पर लगाए गए भारी आयात शुल्क से बचा जा सके।
चीन से आयात को लेकर मंजूरी में देरी केवल इलेक्ट्रॉनिक्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सुरंग निर्माण (tunnel construction) में इस्तेमाल होने वाली ड्रिलिंग मशीनों और सोलर एनर्जी से जुड़ी मशीनों सहित अन्य क्षेत्रों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार देशभर में सुरंगों के निर्माण पर आक्रामक रूप से काम कर रही है।
एक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के टॉप सूत्र ने बताया, “आम तौर पर Apple Inc हर साल एक नया मोबाइल फोन लॉन्च करता है, जबकि बाकी कंपनियां कम से कम दो मॉडल लॉन्च करती हैं। भारत में नए मॉडल असेंबल करने के लिए बड़ी मात्रा में नई आयातित मशीनों को रेट्रोफिट करना पड़ता है। लेकिन इस प्रक्रिया में अब लगातार देरी हो रही है, जो नए मॉडल के लॉन्च को प्रभावित कर सकती है। हमें यह भी आशंका है कि मोबाइल असेंबली के लिए चीन से सेकंडहैंड मशीनरी के आयात— जो कि वहां से भारत में उत्पादन क्षमता शिफ्ट करने का हिस्सा है— पर भी सख्ती बढ़ सकती है।”
खबर के पब्लिश होने तक इस मुद्दे पर Apple के प्रवक्ता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
सूत्रों के अनुसार, एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है जिसके तहत Apple Inc भारत में iPhone उत्पादन क्षमता को दोगुने से भी ज्यादा बढ़ाने की योजना बना रहा है। सामान्य परिस्थितियों में यह उत्पादन 2025-26 तक 26–27 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन कंपनी इसे 12 से 24 महीने पहले ही हासिल करने पर विचार कर रही है।
इस रणनीति से Apple को अमेरिका की पूरी iPhone डिमांड ($40 अरब) की सप्लाई भारत से ही करने में मदद मिल सकती है। वर्तमान में यह सप्लाई चीन से होती है, लेकिन अमेरिका ने चीन से आयातित फोन पर 20% का भारी शुल्क लगाया है जबकि भारत से फिलहाल कोई शुल्क नहीं है। हालांकि, अगले तीन महीने के बाद भारत से निर्यात पर यह शुल्क बढ़कर 10% तक जा सकता है।
2024-25 में Apple Inc ने भारत से अब तक लगभग ₹1.5 लाख करोड़ के iPhones का निर्यात किया है, जिनमें से करीब 20% अमेरिका को भेजा गया है। हालांकि, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए Apple के वेंडर्स को तेजी से नई उत्पादन क्षमता विकसित करनी होगी और चीन से पूंजीगत मशीनों का आयात करना पड़ेगा। यदि इस आयात में देरी होती है, तो पूरी योजना खतरे में पड़ सकती है। यह बदलाव iPhone के उत्पादन को चीन से भारत की ओर शिफ्ट करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। अनुमान है कि FY26 तक भारत iPhone के वैश्विक उत्पादन मूल्य का 25% हिस्सा अपने यहां तैयार करेगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस बदलाव का विरोध जरूर करेगा।
इतना ही नहीं, मई का महीना करीब आने के साथ ही Apple के वेंडर्स को iPhone 17 के नए मॉडल के लिए पूंजीगत मशीनें आयात करनी होंगी ताकि उन्हें रेट्रोफिट किया जा सके। साथ ही, देश में तैयार हो रहे कुछ कंपोनेंट्स या मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में बदलाव के चलते घरेलू सप्लाई चेन के लिए भी नई मशीनों की जरूरत होगी।
अच्छी खबर यह है कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (Tata Electronics) और फॉक्सकॉन (Foxconn) पहले से ही भारत में iPhone निर्माण के लिए नई उत्पादन क्षमता स्थापित करने पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, देश की घरेलू इंजीनियरिंग कंपनियां भी Apple और उसके वेंडर्स की जरूरतों के मुताबिक पूंजीगत मशीनें तैयार करने के लिए तेजी से काम कर रही हैं, ताकि लोकलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा सके।