आईबीसी मामलों में तेजी आने की संभावना है क्योंकि कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के निलंबन पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि वित्तीय बकाएदारों के साथ एनसीएलटी में आने वाले मामलों की संख्या में तुरंत ज्यादा इजाफा नहीं होगा। हालांकि सीआईआरपी आवेदनों में तेजी आ सकती है, क्योंकि एनसीएलटी पीठ नियमित परिचालन से जुड़े हुए हैं और परिचालन लेनदारों को ऋण चूक तथा आईबीसी के जरिये निपटान को लेकर संघर्ष का भी सामना करना पड़ रहा है।
कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया कोविड संबंधित दबाव की वजह से बंद कर दी गई थी। इसमें 24 मार्च, 2021 को समाप्त एक वर्ष के लिए चूक की अवधि को शामिल किया गया था। संशोधित नियम के अनुसार, इन चूक के लिए अब कोई भी आईबीसी आवेदन शुरू नहीं किए जा सकेंगे।
शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर मीशा ने कहा, ‘व्याख्या के कानूनी मुद्दे, (क्या यह निलंबन अवधि के दौरान चूक से जुड़े खातों से संबंधित है और निलंबन की अवधि के बाद चूक में बना हुआ है) को आईबीसी में पात्र बनाना या नहीं बनाना होगा। माना जा रहा है कि वे सीआईआरपी प्रक्रिया पर निलंबन समाप्त किए जाने के बाद ताजा चूक पर आधारित हो सकते हैं।’
कानूनी विश्लेषकों के अनुसार, इससे आईबीसी के तहत आवेदनों का भार तुरंत बढऩे की आशंका नहीं है। भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड के चेयरमैन एम एस साहू ने भी कहा है कि जहां दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदनों की संख्या बढऩे की संभावना है, लेकिन यह तेजी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती है। साहू ने कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि शेयरधारक उपलब्ध कई विकल्पों के जरिये समाधान निकाल रहे हैं जिनमें कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया भी शामिल है। आईबीसी उन कई विकल्पों में से एक है और इसका सहारा लिया जा सकता है।’
उद्योग के विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे परिचालन लेनदार भी हैं जो इस उम्मीद में आईबीसी का दरवाजा खटखटा सकते हैं कि देनदार अपनी कंपनियां खोने की आशंका जता सकते हैं।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर अंशुल जैन ने कहा, ‘निलंबन हटाए जाने के बाद मामलों में बहुत ज्यादा तेजी नहीं आएगी। परिचालन बकाएदारों के लिए चूक अक्सर काफी छोटे स्तर पर होती है। अब चूक की सीमा 1 करोड़ रुपये किए जाने से सीआईआरपी शुरू नहीं की जा सकेगी और अन्य आईबीसी का इस्तेमाल प्रवर्तकों को बकाया के संबंध में धमकी के तौर पर कर सकेंगे।’ कॉरपोरेट दिवालिया प्रक्रिया के लिए आईबीसी को पुन: बहाल किए जाने का यह भी मतलब होगा कि बकाएदारों के पास चूक, दबावग्रस्त परिसंपत्तियों से निपटने और ऋण पुनर्गठन के संबंध में सभी विकल्प होंगे। एनसीएलटी के पीठों का नियमित कामकाज पुन: शुरू होने से सामान्य के मुकाबले ज्यादा आवेदन मिल सकते हैं, खासकर ऐसे मामले जो पिछले साल लंबित थे।
हालांकि सरकार को एनसीएलटी की क्षमता और इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए प्रयास करने की जरूरत होगी। पूर्व एनसीएलटी अध्यक्ष एम एम कुमार ने कहा, ‘जनवरी 2020 से कोई नियुक्ति नहीं की गई है, लेकिन एनसीएलटी पीठों में कई लोग सेवानिवृत हुए हैं। बाहर से लिया जाने वाला स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर है।’
सार्वजनिक उपक्रमों से मिला 30 हजार करोड़ रुपये का लाभांश
सरकार को चालू वित्त वर्ष में अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों से 30,369 करोड़ रुपये का लाभांश प्राप्त हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है। सरकार ने संशोधित बजट अनुमान में चालू वित्त वर्ष के संशोधित बजट अनुमान में केंद्रीय उपक्रमों से लाभांश प्राप्ति को पहले के 65,746.96 करोड़ रुपये से घटाकर 34,717.25 करोड़ रुपये कर दिया। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने एक ट्वीट में कहा, केंद्रीय क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों से चालू वित्त वर्ष में (22.03.2021) तक सरकार की लाभांश प्राप्ति 30,369 करोड़ रुपये रही है। दीपम ने यह भी कहा है कि उसे बीईएमएल के लिए कई आवेदन प्राप्त हुए हैं।
बीईएमएल के निजीकरण के लिए कई ने रुचि दिखाई है। इसके लिए सौदा अब दूसरे चरण पर पहुंच गया है। सरकार ने पिछले साल बीईएमएल में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए शुरुआती बोली लगाने की समय सीमा को 22 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया था। सरकार ने इसके लिए सबसे पहले जनवरी में रुचि पत्र आमंत्रित किए थे। बीईएमएल में सरकार की 54.03 फीसदी हिस्सेदारी है। मौजूदा बाजार मूल्य पर कंपनी की 26 फीसदी हिस्सेदारी का दाम 1,000 करोड़ रुपये के करीब होगा। भाषा