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Semiconductor Production: भारतीय चिप अगले साल 15 अगस्त तक!

जिस पहली परियोजना में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है, वह माइक्रॉन का 2.7 अरब डॉलर का चिप परीक्षण और पैकेजिंग संयंत्र हैं।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- September 23, 2024 | 10:19 PM IST

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सेमीकंडक्टर वेफर्स और चिप्स के व्यावसायिक उत्पादन के लिए समयसीमा को अंतिम रूप दे रहा है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सरकार पहले ही इन योजनाओं को मंजूरी दे चुकी है और अब वह इनके चालू होने पर ध्यान दे रही है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जिस पहली परियोजना में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है, वह माइक्रॉन का 2.7 अरब डॉलर का चिप परीक्षण और पैकेजिंग संयंत्र हैं। यहां से उम्मीद है कि अगले साल के मध्य तक, संभावतः 15 अगस्त तक पहली मेड इन इंडिया कमर्शियल चिप आ जाएगी।

गुजरात के साणंद में माइक्रॉन का एटीएमपी/ओएसएटी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग/आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली ऐंड टेस्टिंग) संयंत्र पहला था जिसे पिछले साल जनवरी में सरकार ने मंजूरी दी थी। यह परियोजना 76 हजार करोड़ रुपये की सेमीकंडक्टर योजना- सेमीकॉन इंडिया- के तहत मंजूर की गई थी। शुरू में उम्मीद की जा रही थी कि कंपनी के भारतीय संयंत्र से दिसंबर 2024 तक स्वदेशी चिप का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन संयंत्र लगाने के लिए 91 हजार करोड़ रुपये के निवेश का वादा करने वाले टाटा समूह (टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स) को इस साल फरवरी में मंजूरी मिली है। अधिकारी ने कहा कि गुजरात में उसके धोलेरा संयंत्र से वेफर उत्पादन शुरू होने में करीब साढ़े तीन साल का वक्त लगेगा।

असम के जागीरोड में इसके 27 हजार करोड़ रुपये वाले एटीएमपी संयंत्र से अगले साल के अंत तक चिप उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इस बीच, मैसूरु की केन्स टेक्नोलॉजी सरकार से मंजूरी मिलने के बाद वित्त वर्ष 2026 के शुरुआत तक वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने पर विचार कर रही है। मुरुगप्पा समूह की सीजी पावर भी 7,600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ साणंद में एक परीक्षण एवं पैकेजिंग इकाई लगा रही है। कंपनी ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि उसका लक्ष्य अगले ढाई से तीन वर्षों में उत्पादन शुरू करने का है।

इस बारे में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने प्रवक्ता ने कहा, ‘हम कुछ नहीं कहेंगे।’ माइक्रॉन ने सवालों का कोई जवाब नहीं दिया मगर केन्स टेक्नोलॉजी के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि कंपनी को वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत तक संयंत्र चालू होने की उम्मीद है।

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने सेमीकंडक्टर योजना के दूसरे संस्करण के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी क्योंकि पहले से घोषित परियोजनाओं को मंजूरी मिलने के बाद प्रोत्साहन के लिए निर्धारित 76 हजार करोड़ रुपये की राशि लगभग खत्म हो चुकी है। मौजूदा योजना के तहत फैब संयंत्र और ओएसएटी/एटीएमपी परियोजानाओं को संयंत्र स्थापित करने की लागत का 50 फीसदी प्रोत्साहन दिया जाता है।

अधिकारी ने कहा, ‘हितधारकों के साथ विमर्श जारी है। मसौदा तैयार किया जा चुका है। 2.0 सेमीकंडक्टर योजना को मूर्त रूप देने में करीब छह महीने का वक्त लगेगा।’ उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमारा ध्यान मौजूदा परियोजनाओं को शुरू कराने और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े निर्माणों को प्रोत्साहित करने पर है। यह भारत के सेमीकंडक्टर मिशन की सफलता के लिए काफी जरूरी है।

अधिकारी ने कहा, ‘हमने अभी तक नई प्रस्तावित योजना के तौर-तरीकों अथवा उसका आकार तय नहीं किया है।’ साथ ही यह भी बताया कि चंडीगढ़ की एससीएल (सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी) को फिर से शुरू करना भी हमारी प्राथमिकता है।

First Published : September 23, 2024 | 10:19 PM IST