प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग ने दमदार वृद्धि दर्ज की है मगर इसके समक्ष कई चुनौतियां भी हैं। यह बात मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 के दौरान उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों ने कही है। उनके मुताबिक, देश के सेमीकंडक्टर उद्योग को बुनियादी ढांचे में अंतर, कुशल प्रतिभाओं की कमी और आपूर्ति श्रृंखला में कमजोरी जैसी प्रमुख चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स में कंपोनेंट बिजनेस और आपूर्ति श्रृंखला के अध्यक्ष श्रीनिवास सत्या ने कहा कि हालांकि, फिलहाल प्रगति के कुछ संकेत दिख रहे हैं, लेकिन देश की सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला अभी शुरुआती दिनों में है। उन्होंने कहा, ‘बुनियादी ढांचे में अब भी कई चुनौतियां हैं। इन सुविधाओं का निर्माण और डिजाइन अपने आप में एक खास स्तर का कौशल है। भारत के लिहाज से बात करें तो लागत प्रभावी सेमीकंडक्टर फैब डिजाइन और देश में क्षमताओं की गहराई के मोर्चे पर हमारे पास कमियां हैं।’
इसके अलावा, सत्या ने कहा कि प्रतिभा की बात करें तो देश में फैब विशिष्ट प्रतिभाओं की खासी कमी है, जो इन सुविधाओं में काम करने और उनके परिचालन के लिए काफी जरूरी मानी जाती है। उन्होंने कहा, ‘प्रतिभा और क्षमता आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न अंग है और सही समय पर सही कौशल और सही उपकरण उपलब्ध कराने में यह एक कमी है।’ उन्होंने कहा कि यह उद्योग भू राजनीतिक रूप से भी काफी संवेदनशील माना जाता है और जोखिम बांटने की जरूरत है।
बुनियादी ढांचे की चुनौतियों पर जोर देते हुए केएलए में उपाध्यक्ष और वैश्विक केंद्रीय उत्पाद इंजीनियरिंग के प्रमुख ब्रायन हास ने कहा कि भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को नई वृद्धि चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए परिपक्व परिवेश प्रणालियों के बजाय बुनियादी ढांचे को नए सिरे से बनाने की जरूरत है।
ब्रायन ने कहा, ‘भारत में नए सिरे से तैयारी करना मानक परिचालन प्रक्रिया से थोड़ा अलग था, क्योंकि बाकी बुनियादी ढांचा भी पहले से मौजूद नहीं था। इसलिए, इसमें थोड़ा अधिक ध्यान देने की जरूरत है, खासकर प्रशिक्षण और दौरे की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थानीय क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं। जहां तक प्रतिभा का सवाल है हम प्रतिभा विकास के लिए पूरी तरह तैयार हैं और हमारे पास विश्व स्तरीय प्रशिक्षण सुविधाएं मौजूद हैं।’
अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) संगठन आईएमईसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हारिस उस्मान ने जोर देकर कहा कि भारत को अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि प्रौद्योगिकियों को अनुसंधान से विनिर्माण तक पहुंचने में कई साल लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि नवाचार को बढ़ावा देने और कुशल प्रतिभाओं को तैयार करने के लिए संगठन के पास स्वयं कई विशिष्ट, उद्योग-संबंधित पीएचडी कार्यक्रम हैं और यह उद्योग के साथ निरंतर सहयोग कर रहा है।