प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत में लोगों में यह चाहत बढ़ रही है कि वे अपने बजट को बिना बिगाड़े डिजाइनर ब्रांड और लग्जरी लेबल वाले सामान खरीद सकें। इस रुझान को देखते हुए ऐसी कई कंपनियां आगे आई हैं जो इन ब्रांडों के सेकंड हैंड यानी इस्तेमाल किए हुए सामान बेचती हैं।
हालांकि इस बाजार का दायरा अभी भी सीमित है, लेकिन यह बढ़ती उपभोक्ता मांग, नियमित खरीदारों, निवेशकों की रुचि और तेजी से हो रहे विस्तार के कारण तेजी से बढ़ रहा है।
जिनियोसा, कुरो इंडिया और रीटैग जैसे रीसेल ब्रांडों ने 2025 में औसतन 60-65 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा है। यह आंकड़ा बाजार में तेजी और ऊंचे स्तर के खरीदारों के लग्जरी उत्पादों के प्रति बढ़ते रुझान को दर्शाता है।
बेंगलूरु स्थित जिनियोसा सेकंड हैंड लग्जरी उत्पादों में विशेषज्ञता वाला ब्रांड है और उसने अगले कुछ वर्षों में अपनी वृद्धि और विस्तार के लिए इन्फ्लेक्शन पॉइंट वेंचर्स से नई फंडिंग जुटाई है। इसके अलावा, यह फंडिंग के अन्य अवसरों की भी तलाश कर रहा है।
यह प्लेटफॉर्म अभी 60 से ज्यादा लग्जरी ब्रांडों के लगभग 3,000 उत्पाद प्रदर्शित करता है, जिनमें गुच्ची से लेकर लुइ वितां तक के ब्रांड शामिल हैं। इन उत्पादों की कीमत 30,000 रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है।
वर्ष 2021 में स्थापित दिल्ली स्थित कुरो इंडिया 2023 में लग्जरी रेंटल्स से प्री-लव्ड उत्पाद व्यवसाय में तब्दील हो गया। तब से ब्रांड ने 5,000 से अधिक ऑर्डर पूरे किए हैं, जिसमें वाईएसएल, प्राडा, सब्यसाची और सीमा गुजराल जैसे लेबलों के डिजाइनर बैग, परिधान, फुटवियर, धूप के चश्मे और एक्सेसरीज की मजबूत मांग है।
कंपनी दो साल में 19 करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर 1 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है, ताकि हैदराबाद और दिल्ली में अपनी मौजूदा पारंपरिक उपस्थिति को और बढ़ा सके। इसके बाद मुंबई, बेंगलूरु और चेन्नई में भी विस्तार किया जाएगा, साथ ही अमेरिका में रेंटल-सर्विस के अवसरों की भी तलाश की जाएगी। 2018 में स्थापित रीटैग भारत के तेजी से बढ़ते प्री-लव्ड लग्जरी बाजार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह कंपनी 20 से 40 वर्ष की उम्र की युवा, शहरी कामकाजी महिलाओं और फैशन पसंद करने वाली महिलाओं पर ज्यादा ध्यान देती है।