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PM-AASHA scheme: पीएम आशा के लिए अनाज खरीद में बंद हुई निजी भागीदारी

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्योरा देते हुए बताया कि पीएम-आशा का पहले हिस्सा रही पीपीएसएस (निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना) को बंद कर दिया गया है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- September 19, 2024 | 9:51 PM IST

केंद्र ने सरकारी अन्न खरीद में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देने की उपयोजना को बंद कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को महत्त्वाकांक्षी योजना पीएम-आशा में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित कराने के लिए बदलाव किया था।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्योरा देते हुए बताया कि पीएम-आशा का पहले हिस्सा रही पीपीएसएस (निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना) को बंद कर दिया गया है। इसका कारण यह है कि इसमें निजी कंपनियों की पर्याप्त भागीदारी नहीं थी। यह जानकारी चौहान ने नरेंद्र मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन के इतर संवाददाताओं को दी।

प्रधानमंत्री अंत्योदय आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) की शुरुआत 2018 में की गई थी और इस योजना के तहत कुछ समय तक पीपीएसएस को प्रायोगिक आधार पर चलाया गया था। हालांकि, निजी कंपनियों की ओर से ज्यादा भागीदारी नहीं हुई क्योंकि कंपनियों को लगा कि कीमतों में बड़ी गिरावट की स्थिति में पारिश्रमिक पर 15 फीसदी की सीमा बहुत कम है।

चौहान ने घोषणा की थी कि वह अगले महीने से हर मंगलवार को देशभर के किसानों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। मंगलवार को दोपहर से पहले वह यह मुलाकात करेंगे ताकि किसानों की समस्याओं और परेशानियों को समझ सकें।

उन्होंने कहा कि कोई भी आकर उनसे अपनी समस्याओं को साझा कर सकता है। उन्होंने बताया कि जीएम फसलों के संवेदनशील मामले में राष्ट्रीय सहमति नहीं होने तक कोई फैसला नहीं किया जाएगा।

चौहान ने देर तक बारिश होने के खरीफ फसलों पर प्रभाव के संबंध में कहा कि बीते साल की तुलना में इस बार खरीफ (गर्मी) में चावल उत्पादन अधिक होने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया, ‘अच्छी बारिश के कारण धान की बोआई की प्रगति अच्छी है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बारिश होने के कारण कुछ क्षेत्रों में फसल को नुकसान हुआ है लेकिन इससे उत्पादन नहीं गिरेगा। बीते साल की तुलना में चावल उत्पादन अधिक रहेगा।’

खरीफ के धान की कटाई नवंबर के आसपास होती है और इसकी भारत के कुल चावल उत्पादन में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार के तीसरे अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में खरीफ के चावल का उत्पादन 11.43 करोड़ टन था। मंत्रालय के अनुसार बीते सप्ताह धान की बोआई का क्षेत्रफल 16.4 लाख हेक्टेयर बढ़कर 4.1 करोड़ हेक्टेयर हो गया है।

चौहान ने पीएम-आशा में बदलाव के सिलसिले में यह भी बताया कि मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना (बीबीवाई) की तरह ही अब मूल्य कमी भुगतान घटक (बीबीवाई) प्रभावी है। इसके तहत राज्य तिलहन उत्पादों के लिए अब 40 फीसदी तक भुगतान कर सकते हैं जबकि पहले 25 फीसदी तक भुगतान संभव था। केंद्रीय समर्थन की सीमा एमएसपी और मॉडल दरों के बीच अंतर के केवल 15 प्रतिशत तक सीमित होगी।

बढ़ेगी चीनी की एमएसपी

खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि सरकार बीते कई वर्षों से 32 रुपये किलो पर स्थिर न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बदलाव पर विचार कर रही है। न्यूनतम बिक्री मूल्य फ्लोर दर है और इससे कम पर चीनी भारत में चीनी मिलें नहीं बेच सकती है। जोशी ने बताया कि गन्ने के लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में काफी वृद्धि हुई है जबकि इसके अनुरूप न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि नहीं हुई है।

First Published : September 19, 2024 | 9:51 PM IST