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यूरोप से श्रीलंका जाने वाले यात्री अब वेस्ट एशिया से ज्यादा भारत के रास्ते आ रहे हैं: श्रीलंकाई एयरलाइंस

श्रीलंकाई एयरलाइंस की एयर इंडिया के साथ कोडशेयर साझेदारी है, जो यूरोप के 10 डेस्टिनेशन के लिए हर हफ्ते 85 फ्लाइट ऑपरेट करती है।

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दीपक पटेल   
Last Updated- June 12, 2024 | 9:26 PM IST

यूरोप से श्रीलंका जाने वाले यात्री अब दुबई, अबु धाबी और दोहा जैसे पश्चिम एशियाई हवाई अड्डों के बजाय नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे भारतीय हवाई अड्डों से होकर यात्रा कर रहे हैं। यह जानकारी बुधवार को बिजनेस स्टैंडर्ड को श्रीलंकाई एयरलाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रिचर्ड न्यूटॉल ने दी।

श्रीलंकाई एयरलाइंस की एयर इंडिया के साथ कोडशेयर साझेदारी है, जो यूरोप के 10 डेस्टिनेशन के लिए हर हफ्ते 85 फ्लाइट ऑपरेट करती है। श्रीलंकाई एयरलाइंस यूरोप में सिर्फ पेरिस के लिए उड़ान भरती है। इस साझेदारी के तहत दोनों एयरलाइंस एक-दूसरे की उड़ानों पर सीटें बेच सकती हैं और एक ही फ्लाइट कोड का इस्तेमाल कर सकती हैं।

श्रीलंका जाने वाले यूरोपीय पर्यटकों की संख्या मौसम पर निर्भर करती है। यूरोप से सीधी फ्लाइट कम हैं और कुछ मौसमी भी हैं। पहले यूरोपीय यात्री आमतौर पर पश्चिम एशिया के रास्ते श्रीलंका आते थे। श्रीलंकाई एयरलाइंस के सीईओ रिचर्ड न्यूटॉल ने बताया कि अब भारत के रास्ते आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि “दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु यूरोप जाने के लिए हब बनते जा रहे हैं। यह दिलचस्प है। यह बढ़ोतरी पिछले एक साल में देखी गई है। कुछ साल पहले तक आप भारत के रास्ते जाना जरूरी नहीं समझते थे, लेकिन अब यह आम हो गया है।”

न्यूटॉल के अनुसार कोविड-19 महामारी के बाद से यूरोप से भारत होते हुए कोलंबो आने वाले यात्री तीन गुना बढ़ गए हैं। हाल के वर्षों में, भारत ने दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाई अड्डों को हब के रूप में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

इसलिए भारत अपने कैरियर्स, जैसे एयर इंडिया को यूरोप के लिए लंबी और अति-लंबी दूरी के रूट पर प्रमुख प्लेयप के रूप में स्थापित करने के लिए, तीन मध्य पूर्वी हब को द्विपक्षीय अधिकार बढ़ाने में संकोच कर रहा है।

पिछले दो सालों में एयर इंडिया ने यूरोप जाने वाली अपनी उड़ानों को लगभग दोगुना कर दिया है, जो अब हर हफ्ते 85 हो गई हैं। इस दौरान एयर इंडिया ने यूरोप में एम्स्टर्डम, कोपेनहेगन, मिलान, वियना, ज्यूरिख और लंदन गैटविक हवाई अड्डों के लिए नई फ्लाइट शुरू की हैं।

साथ ही, एयर इंडिया की यूरोप उड़ानों और श्रीलंकाई एयरलाइंस की भारत उड़ानों के बीच के समय अंतराल को भी ध्यान में रखा गया है। इससे एयर इंडिया को श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय-से-अंतरराष्ट्रीय ट्रांजिट ट्रेफिक को बढ़ाने में मदद मिली है।

श्रीलंकाई एयरलाइंस इस समय कोलंबो और भारत के 11 शहरों के बीच लगभग 80 साप्ताहिक फ्लाइट ऑपरेट कर रही है। कंपनी के सीईओ रिचर्ड न्यूटॉल ने बताया कि अगले साल मार्च तक भारत आने-जाने वाली उड़ानों को 25 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना है।

उन्होंने कहा कि “हमारे 22 विमानों में से 16 ही अभी चालू हैं। अगले साल मार्च तक हम चालू विमानों की संख्या 25 तक बढ़ाना चाहते हैं। इससे हमें भारत आने-जाने वाली उड़ानों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।”

गौरतलब है कि श्रीलंका जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या पिछले साल के 12,000 प्रति माह से बढ़कर इस साल लगभग 40,000 प्रति माह हो गई है।

न्यूटॉल ने कहा कि “इसका मतलब है कि मांग तो है। हमें बस सही समय पर ज्यादा फ्लाइट शुरू करनी हैं।”

भारत-श्रीलंका के हवाई मार्गों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। इंडिगो, एयर इंडिया और विस्तारा इस समय भारत और श्रीलंका के बीच कुल मिलाकर 147 साप्ताहिक फ्लाइट ऑपरेट कर रही हैं, जबकि पिछले साल जून में ये तीनों एयरलाइंस कुल मिलाकर 129 साप्ताहिक फ्लाइट चला रहीं थीं।

न्यूटॉल ने कहा कि “अगर आप विस्तार नहीं करते हैं, तो आप Irrelevant हो जाते हैं। हमें भारत-श्रीलंका मार्केट में नंबर 1 या नंबर 2 बनना है। इसलिए, हम सबसे पहले दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के लिए उड़ानों की संख्या बढ़ाएंगे। साथ ही हम अगले साल तक भारत के एक या दो नए शहरों से भी फ्लाइट शुरू करने की योजना बना रहे हैं।”

First Published : June 12, 2024 | 9:07 PM IST