केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि इफको का नैनो यूरिया और नैनो डीएपी किसानों को पैदावार से किसी भी तरह का समझौता किए बगैर प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करेगा।
शाह ने भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) की कलोल इकाई में नैनो डीएपी (तरल डाई-अमोनियम फॉस्फेट) संयंत्र का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। इफको ने इसे दुनिया में अपनी तरह का पहला संयंत्र बताया है।
सहकारिता मंत्री ने कहा, ‘आज से दस साल बाद जब कृषि के क्षेत्र में सबसे बड़े प्रयोगों की सूची तैयार की जाएगी, तो मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि इफको के नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी को उसमें जगह मिलेगी।’ उन्होंने कहा कि यूरिया का उपयोग कम करना और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना आज के वक्त की जरूरत है।
शाह ने कहा कि अगर आप तीन साल तक उत्पादन कम किए बगैर प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं तो नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग करें। ऐसी खेती के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए तीन साल का समय जरूरी होता है। उन्होंने किसानों से दानेदार यूरिया और डीएपी के बजाय इन उर्वरकों के तरल रूपों को अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि दानेदार यूरिया का उपयोग न केवल फसलों को बल्कि लोगों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनिश्चित किया है कि कोविड-19 महामारी के बाद उर्वरक की लागत बढ़ने का बोझ किसानों पर न डाला जाए। इसकी वजह से उर्वरक पर सब्सिडी 2013-14 के 73,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2.55 लाख करोड़ रुपये हो गई जिसका बोझ सरकार ने उठाया।’
इस अवसर पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया, इफको के चेयरमैन दिलीप संघानी और मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी भी उपस्थित थे। इफको ने कहा कि यह अपनी तरह का पहला संयंत्र है जो पारंपरिक डीएपी की एक बोरी के बराबर क्षमता वाली 500 मिलीलीटर की नैनो डीएपी (तरल) बोतलों का उत्पादन करेगा।