भारतीय कंपनियां नई तकनीकों को अपनाने में दुनिया से आगे निकलने को तैयार हैं। विश्व आर्थिक मंच (WEF) की लेटेस्ट फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कंपनियां AI, रोबोटिक्स, और ऊर्जा तकनीकों जैसे क्षेत्रों में जमकर निवेश कर रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 35% भारतीय कंपनियां मानती हैं कि सेमीकंडक्टर्स और कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी उनके बिज़नेस को पूरी तरह बदल सकती हैं, जबकि यह आंकड़ा दुनिया भर में सिर्फ 20% है। इसी तरह, 21% भारतीय नियोक्ता क्वांटम और एन्क्रिप्शन तकनीक को अहम मानते हैं, जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 12% है।
भारत में बिग डेटा विशेषज्ञ, AI और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ, और सिक्योरिटी मैनेजमेंट विशेषज्ञ जैसे जॉब्स तेजी से बढ़ेंगे। ये न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के ट्रेंड्स से मेल खाते हैं। टैलेंट की कमी से निपटने के लिए भारतीय कंपनियां नए-नए तरीके अपना रही हैं।
AI स्किल्स की डिमांड में भारत और अमेरिका टॉप पर हैं। लेकिन फर्क यह है कि अमेरिका में लोग खुद इसकी पढ़ाई में दिलचस्पी ले रहे हैं, जबकि भारत में कॉर्पोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को AI सिखाने के लिए निवेश कर रही हैं।
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रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक डिजिटल तकनीकों का विस्तार, जलवायु बदलाव से जुड़े कदम, और भू-राजनीतिक तनाव भारत में नौकरियों को नया रूप देंगे। इसके अलावा, भारत की युवा आबादी का बड़ा योगदान रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले सालों में भारत और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों से ग्लोबल वर्कफोर्स में दो-तिहाई लोग शामिल होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 170 मिलियन नई नौकरियां बनेंगी, लेकिन 92 मिलियन नौकरियां खत्म भी होंगी। मतलब, 78 मिलियन नई नौकरियां जुड़ेंगी। नए जॉब्स में किसान, डिलीवरी ड्राइवर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, और केयरगिवर्स जैसे रोल्स होंगे। वहीं, कैशियर और एडमिन असिस्टेंट जैसे रोल्स AI के चलते कम हो जाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 40% मौजूदा स्किल्स में बदलाव की जरूरत होगी। 63% नियोक्ता मानते हैं कि यही उनके बिज़नेस को बदलने में सबसे बड़ा रोड़ा है। इस रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि भविष्य की नौकरियां उन्हीं के पास होंगी, जो नई तकनीकों और स्किल्स को अपनाने के लिए तैयार हैं। भारत इस रेस में न सिर्फ शामिल है, बल्कि कई मायनों में आगे भी।