उद्योग

CMIE Index के आंकड़ों में दिखा सुधार, उपभोक्ताओं का मनोबल लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंचा

CMIE के आकंड़ों में सालाना 1 लाख रुपये से कम कमाई करने वाले कम आय वर्ग में अभी तक सुधार नहीं दिखा है।

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ऐश्ली वर्गीज   
शार्लीन डिसूजा   
Last Updated- January 05, 2024 | 8:35 PM IST

भारतीय उपभोक्ताओं का मनोबल हाल के समय में काफी बढ़ा है और यह कोविड महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है। दिसंबर 2023 में उपभोक्ताओं के मनोबल का सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) सूचकांक फरवरी 2020 के स्तर के पार पहुंच गया है।

फरवरी 2020 के अगले महीने यानी मार्च 2020 में ही सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था। लॉकडाउन के दौरान बाजार बंद होने और रोजगार ठप होने की वजह से उपभोक्ताओं का हौसला पस्त हो गया था और उपभोक्ता मनोबल सूचकांक में तेजी से गिरावट दर्ज की गई थी।

लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर शहरी और औद्योगिक केंद्रों से श्रमिकों का पलायन देखा गया था। यही नहीं, इस दौरान दुकानें बंद होने की वजह से कारोबारी समुदाय को भी भारी नुकसान हुआ था।

सीएमआईई आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर दिसंबर 2023 के आंकड़ों में देखा गया सुधार वि​भिन्न क्षेत्रों और आय समूहों के बीच विचलन को स्पष्ट नहीं करता है।

सूचकांक के आंकड़े सितंबर-दिसंबर 2015 से उपलब्ध हैं और उस समय आधार मूल्य 100 था। उसके बाद के उतार-चढ़ाव वि​भिन्न क्षेत्रों और परिवारों की आय उपभोक्ता भावना में बदलाव को दर्शाते हैं।

दिसंबर 2023 में देश भर में सूचकांक की वैल्यू 106.74 थी, जबकि फरवरी 2020 में यह 105.32 थी। शहरी परिवार में दिसंबर 2023 में कम वैल्यू 101.83 दर्ज की गई जो फरवरी 2020 में 104 थी। इसी तरह ग्रामीण भारत में सूचकांक वैल्यू 109.12 रही जो दिसंबर 2019 के बाद सबसे अधिक है।

हालांकि, कंपनियों और बाजारों पर नजर रखने वाले बताते हैं कि साल 2023 की शुरुआत में कुछ गति​शीलता बनती दिख रही थी,लेकिन उसके बाद इसमें सुस्ती के संकेत दिखने लगे।

उपभोक्ता वस्तु कंपनी पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कंट्री हेड मयंक शाह के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2023 की पहली तिमाहियों में सुधार के संकेत दिखे लेकिन उसके बाद ऐसे संकेत मिले जिनसे यह कहा जा सकता है कि सेंटिमेंट मजबूत नहीं रह गया।

उन्होंने कहा, ‘साल 2023 में रबी की फसल अच्छी रही। मार्च में खत्म पहली तिमाही में ग्रामीण मांग काफी अच्छी थी और यह सितंबर तक ठीक बनी रही। हालांकि उसके बाद से हम इसमें दबाव देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि दिसंबर तिमाही में ग्रामीण मांग कमजोर रही।

कर्नाटक की उपभोग निगरानी संस्था बिजकॉम के ग्रोथ और इनसाइट्स प्रमुख अक्षय डिसूजा कहते हैं कि रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान (एफएमसीजी) में वृदि्ध इस साल फीकी रही है और त्योहारी सीजन में खपत उम्मीद से कम रही। कारोबारी ग्रामीण इलाकों में भी सीधे वितरण की नीति अपना रहे हैं लेकिन वहां भी खपत के मामले में साल 2023 में सचेत रवैया अपनाया गया, इसके बावजूद कि महंगाई में नरमी आनी शुरू हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘साल 2024 में हमें उम्मीद है कि एफएमसीजी के लिए ग्रामीण इलाके प्रमुख आधार रहेंगे क्योंकि अर्थव्यवस्था टिकाऊ है और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आने की वजह से उपभोग भी बढ़ने लगा है। हमें उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों में गैर जरूरी उत्पादों की खपत में भी तेजी आएगी।’

सीएमआईई के आकंड़ों में वि​भिन्न आय वर्ग में अलग-अलग रफ्तार से सुधार दिख रहा है। सालाना 1 लाख रुपये से कम कमाई करने वाले कम आय वर्ग में अभी तक सुधार नहीं दिखा है। यह सालाना 1 लाख से 2 लाख रुपये के बीच कमाई करने वाले लोगों के बीच भी स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है।

हालांकि जिन परिवारों की आय 2 लाख से 5 लाख रुपये सालाना के बीच है, उनका मनोबल बढ़ा है और खर्च करने की क्षमता में भी सुधार हुआ है। इसी तरह 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये सालाना आय वर्ग के उपभोक्ताओं का मनोबल भी बढ़ा है। हालांकि आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा कमाई करने वाले समूह के मनोबल में अभी भी सुधार दिखना बाकी है।

सबसे गरीब तबका, जिनकी कमाई सालाना 1 लाख रुपये से कम है, एकमात्र आय वर्ग है जहां पिछले वर्ष की तुलना में में अ​धिक परिवारों ने सुधार की अपेक्षा वित्तीय ​स्थिति ज्यादा खराब होने की सूचना दी है।

First Published : January 5, 2024 | 8:27 PM IST