केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने श्रेया नंदी को बजट पेश किए जाने के बाद परस्पर बातचीत में बताया कि सरकार उद्योग को गैर शुल्क तरीकों जैसे यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के विनियमन से निपटने के तरीकों में मदद करेगी। प्रमुख अंश :
निर्यात संवर्द्धन मिशन के बारे में बताइए और सरकार कैसे आवंटित 2,250 करोड़ रुपये खर्च करेगी?
वाणिज्य और वित्त मंत्रालय एक टीम के रूप में काम कर रही हैं। दोनों मंत्रालय देख रहे हैं कि किन क्षेत्रों को पूंजी, तकनीक उन्नयन, मार्केटिंग, ब्रांड बिल्डिंग, नई बाजार तक पहुंच और नए उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अधिकतम मदद की जरूरत है। यह सर्वग्राही योजना है जो निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अत्यधिक लचीलापन मुहैया करवाती है।
बजट में विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है कि एमएसएमई को गैर शुल्क उपायों से निपटने के लिए मदद मुहैया करवाई जाएगी। हमें कब तक सिफारिशों की उम्मीद कर सकते हैं?
व्यापक रूप से सोच यह है कि यदि किसी देश से गुणवत्ता मंजूरी हासिल करने में बेहद दिक्कतें हैं तो सरकार एमएसएमई को लागत के मामले में मदद करने की स्थिति में होनी चाहिए। लिहाजा अतिरिक्त लागत है, मान लीजिए कि हम यूरोपियन यूनियन के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) को पूरा करते हैं। हम अपनी सूक्ष्म और लघु इकाइयों को प्रमाणन की रिपोर्टिंग जरूरतों को पूरा करने में मदद करना चाहते हैं। इस मिशन के लिए काम करने वाला दल हमारे उद्योग को गैर शुल्क बाधाओं (एनटीबी) से निपटने में मदद करेगा। हम गैर शुल्क बाधाओं को कम करने के लिए संबंधित पक्ष से निरंतर बातचीत कर रहे हैं। इस सिलसिले में अधिकारियों के साथ बैठकें हुई हैं। मैंने अपने कुछ विचार दिए हैं कि कैसे धन का समुचित उपयोग कर सकते हैं।
इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन योजना और मार्केट में पहुंच के लिए कोई आवंटन नहीं है?
हम सभी को एक दायरे में लेकर आए हैं। हम नियमित हस्तक्षेप की जगह लक्षित और केंद्रित हस्तक्षेप चाहते हैं। हम पहले नियमित हस्तक्षेप में बड़े और छोटे या सभी क्षेत्रों को एक समान ढंग से देख रहे थे। इंटरेस्ट इक्वालाइजेशन योजना 31 दिसंबर को पूरी हो गई। यदि किसी क्षेत्र को किसी योजना से मदद की जरूरत है तो वाणिज्य और वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार कर सकते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से सोचता हूं कि उन क्षेत्रों को लक्षित मदद बेहतर ढंग से दे सकते हैं जिन्हें अधिक आवश्यकता है। हम स्मार्ट योजना बनाकर कम लागत पर ऋण की उपलब्धता मुहैया करवा सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को टैरिफ किंग कहा है। क्या कई उत्पादों पर सीमा शुल्क में कटौती इसी को ध्यान में रखकर की गई?
हमने हमेशा करों से संबंधित मु्दों का समाधान करने का प्रयास किया है। हमने हमेशा ही उद्योग जगत की करों और शुल्कों में कटौती के अनुरोध का ध्यान रखा है। यह कदम उन्हीं प्रयासों का हिस्सा है। इससे कारोबार और उद्योग जगत में अच्छा संदेश भी जाएगा। इससे विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी क्योंकि कच्चा माल और इससे जुड़े उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमारे उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे।
अपने यहां पहले से ही 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना है, ताकि विनिर्माण क्षेत्र मजबूत हो और नौकरियां पैदा हों। विनिर्माण मिशन कैसे काम करेगा?
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना चल रही है और लाभार्थियों का चयन कर लिया गया है। वे निवेश कर रहे हैं। सरकार के लिए यह बड़ी सफलता है। अब राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग मिशन पूरे विनिर्माण परिदृश्य को ध्यान में रखकर काम करेगा। यह भविष्य की जरूरत वाले क्षेत्रों को चिह्नित करेगा।