भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने 13,966 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सात बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार का मकसद कृषि रिसर्च, डिजिटल खेती और टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा देना है। इस घोषणा से पहले, पिछले हफ्ते वैष्णव ने 10 राज्यों में 28,602 करोड़ रुपये की लागत से 12 औद्योगिक स्मार्ट सिटी बनाने की मंजूरी दी थी।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान: 3,979 करोड़ रुपये
सरकार ने खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान पर 3,979 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इस प्रोजेक्ट में पांच मुख्य क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा:
कृषि शिक्षा और मैनेजमेंट: 2,291 करोड़ रुपये
भारतीय कृषि रिसर्च परिषद (ICAR) के तहत कृषि शिक्षा, मैनेजमेंट और सामाजिक विज्ञान को मजबूत करने के लिए 2,291 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस पहल का मकसद नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कृषि शिक्षा को आधुनिक बनाना है।
इसमें लेटेस्ट तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जैसे कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा, और रिमोट सेंसिंग। पाठ्यक्रम में प्राकृतिक खेती के तरीके और जलवायु अनुकूलन उपाय भी शामिल किए जाएंगे।
डिजिटल कृषि मिशन: 2,817 करोड़ रुपये
सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन की घोषणा की है, जिसके लिए 2,817 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इस मिशन का मकसद कृषि प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके बेहतर निर्णय लेने और कृषि की दक्षता में सुधार करना है। इस प्रोजेक्ट के दो मुख्य हिस्से हैं:
आधुनिक तकनीकों का उपयोग: खेती की प्रक्रिया में AI और बिग डेटा का समावेश।
निर्णय लेने की क्षमता में सुधार: बेहतर निर्णय लेने और कृषि दक्षता को बढ़ाने पर ध्यान।
एग्री स्टैक:
किसान रजिस्ट्र्री: किसानों का एक विस्तृत डेटाबेस।
गांव की जमीन का नक्शा रजिस्ट्र्री: भूमि स्वामित्व और उपयोग के लिए डिजिटल नक्शे।
फसल बोई गई रजिस्ट्र्री: विभिन्न क्षेत्रों में बोई गई फसलों की ट्रैकिंग।
कृषि निर्णय सहायता प्रणाली:
भौगोलिक डेटा: सटीक खेती के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग।
सूखा और बाढ़ निगरानी: मौसम से संबंधित खतरों का आकलन और समाधान।
मौसम और सैटेलाइट डेटा: वास्तविक समय के डेटा का उपयोग करके खेती में सुधार।
भूजल और पानी की उपलब्धता डेटा: पानी के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना।
फसल उत्पादन और बीमा मॉडलिंग: डेटा का उपयोग करके सटीक उत्पादन पूर्वानुमान और बीमा गणना।
सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन: 1,702 करोड़ रुपये
केंद्रीय कैबिनेट ने सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन के लिए 1,702 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस प्रोजेक्ट का मुख्य फोकस है:
पशु स्वास्थ्य मैनेजमेंट और पशु चिकित्सा शिक्षा: पशु स्वास्थ्य सेवाओं और पशु चिकित्सा शिक्षा में सुधार।
डेयरी उत्पादन और तकनीकी विकास: डेयरी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाना।
पशु आनुवंशिक रिसोर्स मैनेजमेंट: पशु जेनेटिक्स का मैनेजमेंट और सुधार।
पशु पोषण और छोटे जुगाली करने वाले जानवरों का उत्पादन: पशु पोषण और छोटे जानवरों के उत्पादन के लिए सतत प्रथाओं का विकास।
सतत बागवानी विकास: 860 करोड़ रुपये
बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, सतत बागवानी विकास के लिए 860 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इस पहल में उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय, और समशीतोष्ण फसलों के साथ-साथ जड़, कंद, बल्बयुक्त, और शुष्क फसलों की खेती शामिल होगी। प्रोजेक्ट में सब्जियां, पुष्पकृषि, मशरूम, और बागान, मसाले, औषधीय और सुगंधित पौधों का विकास भी शामिल होगा।
कृषि विज्ञान केंद्र और प्राकृतिक रिसोर्स मैनेजमेंट
अंत में, कैबिनेट ने कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत करने के लिए 1,202 करोड़ रुपये और प्राकृतिक रिसोर्स मैनेजमेंट के लिए 1,115 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इन प्रोजेक्ट्स का मकसद किसानों को उनके रिसोर्सों का प्रभावी और सतत मैनेजमेंट करने के लिए जरूरी ज्ञान और उपकरण प्रदान करना है।