Nitin Paranjpe, HUL Chairman
देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के गैर कार्यकारी चेयरमैन नितिन परांजपे ने शुक्रवार को कंपनी की सालाना साधारण बैठक के दौरान शेयरधारकों से कहा कि भारत में रोजमर्रा के सामान वाला (एफएमसीजी) क्षेत्र दमदार बना हुआ है। उन्होंने कहा कि देश समृद्ध हो रहा है और काफी लोग उपभोक्ता वर्ग में शामिल हो रहे हैं और विवेकाधीन आय में भी वृद्धि हो रही है।
नितिन ने कहा, ‘हमारी प्रति व्यक्ति खपत काफी कम है। एफएमसीजी श्रेणी में प्रति व्यक्ति खपत करीब 50 डॉलर है। अगर आप इंडोनेशिया जैसे दक्षिणी पूर्वी एशियाई जैसे देशों को देखें तो वहां प्रति व्यक्ति खपत करीब 250 डॉलर है और थाईलैंड में तो यह 350 डॉलर के करीब है। इससे आपको यह पता चलता है कि हमें आगे किस तरह का अवसर मिला है।’ उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोग प्रीमियम बनाना शुरू करेंगे और शहरीकरण शुरू होगा, जिससे अवसर मिलेगा। ये सभी मध्यम से दीर्घावधि में वृद्धि के मौके हैं।
आइसक्रीम कारोबार को अलग करने के मसले पर परांजपे ने शेयरधारकों से कहा कि भारत में टीम स्थिति का आकलन करेगी और बोर्ड के साथ विमर्श करेगी। फिर स्वतंत्र बोर्ड इस मसले पर अपना नजरिया रखेगा कि कंपनी के हित में क्या है। शेयरधारकों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ‘हम यूनिलीवर की वैश्विक टीम के साथ चर्चा करेंगे और फिर एक फैसला लेंगे, जो सभी के हित में होगा। यह फैसला अभी होना बाकी है।’
यह घोषणा यूनिलीवर द्वारा अपने आइसक्रीम कारोबार को अलग करने के बाद की गई है। उन्होंने कहा कि एचयूएल के नवाचार में और तेजी आएगी। पिछले साल के
प्रदर्शन के बारे में परांजपे ने कहा, ‘भौतिक मुद्रास्फीति कम होकर एक अंक में आ गई, कुछ जगहों पर यह सही मायने में नकारात्मक हो गई और हमें इसका लाभ अपने उपभोक्ताओं को देना पड़ा। साथ ही मात्रात्मक सुधार एक निश्चित अवधि में होने की संभावना है।’
अपने शुरुआती भाषण में भारत के बढ़ते मानव पूंजी विकास पर उन्होंने कहा कि भारत ने 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने और साल 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने बताया कि इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को अपनी वृद्धि दर को पिछले दशक के करीब चक्रवृद्धि सालाना 7 फीसदी के ऐतिहासिक औसत से बढ़ाकर 8 फीसदी से अधिक करने की जरूरत होगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं है मगर इसकी बहुत जरूरत है और यह निश्चित रूप से संभव भी है।
परांजपे ने कहा, ‘गति हमारे पक्ष में है। हम पिछले दशक में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि दर अमेरिका और ब्रिटेन की 2 फीसदी, जापान की एक फीसदी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से काफी अधिक है और चीन की 7 फीसदी के करीब है।
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दशक में भारत में किए गए निवेश ने पहले से ही दुनिया में सबसे अच्छे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की नींव तैयार की है। इससे वित्तीय समावेशन को बल मिला है और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिला है।