इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) जल्द ही एक नया पाठ्यक्रम पेश करने की योजना बना रहा है, जिसका मकसद स्वतंत्र निदेशकों (आईडी) को वित्तीय परिणाम समझने में सक्षम बनाना है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा, ‘यह पाठ्यक्रम खासकर उन लोगों के लिए होगा, जो ऑडिट कमेटी के सदस्य हैं या कमेटी में शामिल किए जा सकते हैं।’
हाल के दिनों में कॉर्पोरेट घोटालों से कंपनी के निदेशक प्रभावित हुए हैं। सरकार का मानना है कि वे संकट के किसी संकेत को महसूस कर पाने में सफल नहीं हो पाए। हालांकि कंपनी मामलों में चूक और असहमति को लेकर स्वतंत्र निदेशक ज्यादा जागरूक और मुखर हुए हैं। इस महीने की शुरुआत में निसाबा गोदरेज ने वीआईपी इंडस्ट्रीज के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने नेतृत्त्व, जवाबदेही और उत्तराधिकार को लेकर मतभेद के कारण अलग विचार रखे थे। हाल ही में मार्क डेसेडेलियर ने ‘पारदर्शिता’ के मसलों का हवाला देते हुए सुजलॉन के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। संकटग्रस्त पेटीएम भुगतान बैंक एक और उदाहरण है, जिसमें स्वतंत्र निदेशकों ने व्यक्तिगत वजह का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया।
स्वतंत्र निदेशक ऑडिट समिति का हिस्सा होते हैं। ऑडिट की प्रक्रिया साफ सुथरी और पारदर्शी रहे, इसे लेकर उनकी जवाबदेही होती है। सूत्रों ने कहा कि स्वतंत्र निदेशकों पर चूक को लेकर सवाल उठते हैं, ऐसे में महसूस किया गया कि उन्हें अकाउंटिंग और ऑडिटिंग की बुनियादी चीजों के बारे में शिक्षित किया जाए जिससे वे खतरों को लेकर आगाह करने में सक्षम हों और सही सवाल पूछ सकें।
आईआईसीए में इस समय करीब 29,000 स्वतंत्र निदेशक पंजीकृत हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विशेष पाठ्यक्रम कॉर्पोरेट गवर्नेंस बेहतर बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। यह कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 149 (6) के अनुरूप है। इसमें संबंधित विशेषज्ञता और ईमानदारी को लेकर स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका अहम बताई गई है।
केएस लीगल ऐंड एसोसिएट्स में मैनेजिंग पार्टनर सोनम चांदवानी ने कहा, ‘बेहतर वित्तीय साक्षरता से स्वतंत्र निदेशकों को सक्षम बनाकर आईआईसीए न सिर्फ अनुपालन को बढ़ावा देने की गति बढ़ा रहा है, बल्कि वित्तीय कुप्रबंधन से होने वाली कानूनी देनदारियां भी इससे कम होंगी।’