कोविड महामारी और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से वित्त वर्ष 2021 में भारतीय कंपनी जगत की बिक्री और आय पर असर पड़ा था लेकिन महामारी के बाद कच्चे माल एवं पूंजी लागत में कमी से उद्योग जगत ने एक दशक में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाया है। वित्त वर्ष 2021 में सूचीबद्घ कंपनियों का शुद्घ मुनाफा 57.6 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 5.31 लाख करोड़ रुपये रहा।
इसके परिणामस्वरूप देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कंपनियों के मुनाफे का हिस्सा 2.63 फीसदी पर पहुंच गया, जो 10 साल में सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 2020 में यह अनुपात 1.6 फीसदी के निचले स्तर पर था और वित्त वर्ष 2011 में यह जीडीपी के 3.2 फीसदी के सर्वोच्च स्तर पर था।
कंपनियों की आय और जीडीपी का अनुपात भी वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 34.4 फीसदी हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 33.6 फीसदी था। लेकिन आय और जीडीपी का अनुपात अभी भी दो साल पहले के 35.7 फीसदी से कम है। वित्त वर्ष 2015 में उद्योग जगत की आय और जीडीपी का अनुपात 41.9 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर था। हालांकि वित्त वर्ष 2021 में कंपनियों की एकीकृत आय 2 फीसदी घटकर 67 लाख करोड़ रुपये रही। इसकी तुलना में मौजूदा मूल्य पर देश की जीडीपी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यायल के अग्रिम अनुमान के अनुसार 4.2 फीसदी घटकर 194.5 लाख करोड़ रुपये रही।
आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनियों के मुनाफे में बड़ा योगदान परिचालन एवं पूंजी लागत में कमी का है जबकि बिक्री एवं आय में उतना इजाफा नहीं हुआ है। धातुओं, सीमेंट और रसायनों के उत्पादकों को वैश्विक बाजार में कीमतें बढऩे का फायदा मिला है।
वित्त वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर जिंसों की कीमतों में कमी से भारतीय उद्योग जगत के कच्चे माल की लागत वित्त वर्ष 2021 में 14.1 फीसदी कम हुई, वहीं बिजली एवं ईंधन की लागत में पिछले वित्त वर्ष में 8.2 फीसदी की कमी आई थी। इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2021 में प्रत्येक 100 रुपये मूल्य की शुद्घ बिक्री में कच्चे माल की लागत 51.6 रुपये रही जो एक साल पहले 56.4 रुपये और वित्त वर्ष 2021 में 65.8 रुपये थी। कच्चे माल और ईंधन की लागत वित्त वर्ष 2021 में 13 साल में सबसे कम रही। यह विश्लेषण 1,054 कंपनियों के अब तक जारी सालाना वित्तीय परिणाम पर आधारित है। नमूने में शामिल इन कंपनियों का समेकित बाजार पूंजीकरण बीते शुक्रवार को 186 लाख करोड़ रुपये था, जो सभी सूचीबद्घ कंपनियों के बाजार पूंजीकरण का 84 फीसदी है।
मुनाफा और घाटे के आंकड़ों को सूचीबद्घ सहायक इकाइयों के मामले में समायोजित किया गया है। हालांकि महामारी के बाद वृहद आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव से लगभग सभी क्ष्चेत्रों को फायदा मिला लेकिन जिंस उत्पादक और वित्तीय क्षेत्र की इकाइयों को सबसे ज्यादा लाभ मिला।
बैंकिग और वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियों का एकीकृत शुद्घ मुनाफा वित्त वर्ष 2021 में 79.3 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 1.49 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। इस दौरान इनके मार्जिन में भी अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। ऋणदाताओं की एकीकृत ब्याज लागत 12 साल में पहली बार 2.7 फीसदी कम रही जबकि सकल ब्याज आय 9 फीसदी बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष में तेल परिशोधन एवं विपणन इकाइयों जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को भी अच्छा मुनाफा हुआ। इन कंपनियों का वित्त वर्ष 2021 में एकीकृत शुद्घ मुनाफा दोगुना हो गया। बिक्री घटने के बावजूद इन कंपनियों को कम व्यय और इन्वेंट्री का लाभ मिला।