निवेशकों का कहना है कि ‘उठता ज्वार सभी नावों को तैराता है।’ यह सच है क्योंकि जब कोई उद्योग अच्छा प्रदर्शन कर रहा होता है तो उस उद्योग की मूल्य शृंखला के सभी क्षेत्र भी अच्छा करते हैं। यदि इसी तर्क के आधार पर गौर किया जाए तो संभावित वृद्धि वाला एक क्षेत्र पैकेजिंग भी हो सकता है।
वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में एफएमसीजी एवं पर्सनल केयर क्षेत्र की मांग में कुछ सुधार हुआ था और एफएमसीजी पैकेजिंग क्षेत्र का एक प्रमुख ग्राहक है। मांग का एक अन्य क्षेत्र फार्मास्युटिकल्स है। इसके अलावा ई-कॉमर्स की तेजी से बढ़ती पैठ, खाद्य प्रसंस्करण के बेहतर मानदंड एवं फूड डिलिवरी में वृद्धि और संगठित खुदरा क्षेत्र लगातार बढ़ती पैठ आदि तमाम कारकों से पैकेजिंग उद्योग की मांग बढ़ रही है।
निरंतरता एवं पुनर्नवीनीकरण के लिए नए मानदंड हैं और इसका मतलब साफ है कि पैकेजिंग का मूल्य भी बढ़ गया है। इसके अलावा फ्लेक्सी पैकेजिंग बनाम कठोर पैकेजिंग का बदलाव भी दिख रहा है। ऐसे में पैकेजिंग उद्योग में कागज/पेपरबोर्ड, पॉलीफिल्म्स, प्लास्टिक, टिसूज और टिन एवं एल्युमीनियम जैसी हल्की धातु की खपत भी बढ़ गई है। इसलिए इन अपस्ट्रीम क्षेत्रों को भी इसका फायदा मिल सकता है।
पैकेजिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आकलन के अनुसार, साल 2019 में भारतीय पैकेजिंग बाजार का आकार करीब 50.5 अरब डॉलर का था जो 2025 तक 26.7 फीसदी सीएजीआर के साथ बढ़कर 204.81 अरब डॉलर हो सकता है।
पैकेजिंग उद्योग फिलहाल संगठित नहीं है और ये अनुमान कहीं अधिक आशावादी हो सकते हैं। लेकिन मजबूत दो अंकों की वृद्धि इसके लिए बिल्कुल संभव दिख रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में 31 सूचीबद्ध पैकेजिंग कंपनियों का एकीकृत परिचालन राजस्व सालाना आधार पर 28 फीसदी बढ़कर 9,549 करोड़ रुपये हो गया जो 2019-20 में 7,454 करोड़ रुपये था। पीबीडीआईटी सालाना आधार पर 50 फीसदी बढ़कर 1,826 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले वर्ष 1,211 करोड़ रुपये रहा था। जबकि कर बाद मुनाफा 106 फीसदी बढ़कर 450 करोड़ रुपये से 950 करोड़ रुपये हो गया। ब्याज लागत में 48 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। (इस इस क्षेत्र में आईटीसी को शामिल नहीं कर रहे हैं क्योंकि उसके राजस्व का मुख्य स्रोत अन्य है।)
पैकेजिंग उद्योग में कई कंपनियों का पुनरुद्धार हुआ और यूफ्लेक्स, पॉलीप्लेक्स कॉरपोरेशन, जिंदल पॉली फिल्म, कॉस्मो फिल्म्स आदि तमाम कंपनियों ने राजस्व और मुनाफे के मोर्चे पर दमदार प्रदर्शन किए हैं। उद्योग की तमाम कंपनियों के परिचालन लाभ मार्जिन में 250 से 300 आधार अंकों का सुधार हुआ। गोपाल पॉलीप्लास, कानपुर प्लास्टिपैक और हाईटेक कॉरपोरेशन जैसी कंपनियों का पुनरुद्धार हुआ। इस क्षेत्र में वृद्धि की काफी संभावनाएं दिख रही हैं क्योंकि वृद्धि को रफ्तार देने वाले कई कारक दीर्घकालिक प्रकृति के हैं। संगठित खुदरा, ई-कॉमर्स, खाद्य प्रसंस्करण एवं बेवरिजेस की खपत में वृद्धि, दवा उत्पादों की अधिक खपत आदि के बल पर पैकेजिंग उद्योग की वृद्धि लगातार जारी रहेगी। हालांकि प्लास्टिक, कागज, धातु आदि कच्चे माल की लागत में तेजी एक गंभीर चुनौती होगी।
पैकेजिंग उद्योग की लगभग सभी कंपनियों के शेयरों में तेजी दिख रही है। वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के दौरान एफएमसीजी की मांग में नरमी से पैकेजिंग क्षेत्र की कंपनियों के राजस्व को भी झटका लग सकता है। हालांकि, अगले दो या तीन वर्षों के दौरान आर्थिक सुधार से इस क्षेत्र के लिए बेहतर दीर्घकालिक संभावनाएं दिख रही हैं।