फिनटेक यूनिकॉर्न भारतपे के सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर ने कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं बोर्ड में निदेशक पद से सोमवार को इस्तीफा दे दिया। बाद में कंपनी ने कहा कि लेखांकन फर्म पीडब्ल्यूसी द्वारा तैयार ऑडिट रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने के लिए बोर्ड बैठक बुलाई जाने के कुछ ही मिनट बाद ग्रोवर का इस्तीफा पत्र प्राप्त हुआ था।
कंपनी ने कहा, ‘आगामी बोर्ड बैठक का एजेंडा प्राप्त होने के कुछ ही मिनट बाद अशनीर ग्रोवर ने भारतपे के प्रबंध निदेशक और बोर्ड निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। बोर्ड बैठक ग्रोवर के आचरण के संबंध में पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी जिसके आधार पर उनके खिलाई कार्रवाई पर विचार किया जाना था। बोर्ड को रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर कार्रवाई करने का अधिकार है।’
इस मामले के एक करीबी सूत्र ने कहा कि कंपनी में ग्रोवर की 9.5 फीसदी शेयर हिस्सेदारी को वापस लिया जा सकता है क्योंकि यह बात बोर्ड बैठक के एजेंडे में शामिल थी। बोर्ड बैठक मंगलवार देर शाम आयोजित की गई क्योंकि कुछ सदस्य अमेरिका में हैं।
ग्रोवर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘बैठक का ऐजेंडा सोमवार को रात्रि 11:55 बजे भेजा गया था। आधी रात में एजेंडा भेजने की क्या जरूरत थी। मैंने दो दिनों में अपना इस्तीफा लिखा है।’
ग्रोवर ने कहा, ‘वे शेयरों के साथ कुछ नहीं कर सकते क्योंकि शेयरधारक समझौते (एसएचए) के तहत उन्हें ऐसा करने (शेयरों को वापस लेने) की अनुमति नहीं दी गई है।’
सिंगापुर मध्यस्थता अदालत (एसआईएसी) में ग्रोवर की ओर से दायर याचिका खारिज होने के कुछ दिनों बाद उनका इस्तीफा सामने आया है। भारतपे के सह-संस्थापक ने अपनी याचिका में ऑडिट रिपोर्ट से क्षतिपूर्ति की मांग की थी और इसे अमान्य घोषित करने की गुहार लगाई थी क्योंकि यह शेयरधारक समझौते का अनुपालन नहीं करता है।
पिछले महीने भारतपे ने ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन के कार्यकाल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच करने के लिए जोखिम परामर्श फर्म अल्वारेज ऐंड मार्शल और बिग फोर लेखांकन फर्म पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया था। फिनटेक यूनिकॉर्न ने पिछले सप्ताह जैन को बर्खास्त कर दिया था जो भारतपे में नियंत्रण प्रमुख थीं।
मालिक-गुलाम संबंध
बोर्ड को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में ग्रोवर ने खुद को और अपने परिवार को कथित तौर पर अपशब्द कहने के लिए निवेशकों और कंपनी के बोर्ड सदस्यों पर प्रहार किया है।
कंपनी के निवेशकों के साथ अपने खटास रिश्ते पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने लिखा, ‘आप हम संस्थापकों के साथ गुलामों जैसा वर्ताव करते हैं- हमें अरबों डॉलर का कारोबार खड़ा करने के लिए प्रेरित करते हैं और बाद में नीचे गिरा देना चाहते हैं। भारत में निवेशकों और संस्थापकों के बीच संबंध मालिक और गुलाम के संबंध जैसा है। मैं विद्रोही गुलाम हूं जिसे पेड़ से लटका दिया जाना चाहिए ताकि कोई अन्य गुलाम मेरी तरह उठने का साहस न करे।’
ग्रोवर ने लिखा है, ‘भारत में मौजूद लोगों सहित आप में से किसी ने भी हमारे कार्यालय का एक बार भी दौरा नहीं किया क्योंकि वैश्विक महामारी ने हमारे जीवन को पलट दिया और अर्थव्यवस्था पर उसका असर दिखा। एक बार भी नहीं। न तो मिकी और न ही हर्षजित अथवा टैरू सान। न तो राहुल और न ही देवन। कोई भी नहीं। हमारे नए कार्यालय के उद्घाटन के लिए आमंत्रण भेज जाने के बावजूद आप में से किसी ने भी पहल नहीं की।’ ग्रोवनर ने रिबिट कैपिटल के मिकी मल्का, सिकोया के हर्षजित सेठी, बीनेक्स्ट के टेरुहाइड सातो, कोट्यू के राहुल विजय किशोर और इनसाइट पार्टनर्स के देवन पारेख का उल्लेख किया।
ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार, कंपनी में रिबिट कैपिटल की 11 फीसदी, बीनेक्स्ट की 9.6 फीसदी, सिकोया की 19.6 फीसदी और कोट्यू की 12.4 फीसदी हिस्सेदारी है। इनसाइट पार्टनर्स की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है।