सरकार ने ‘निगमों’ की सूचीबद्धता में छूट के लिए बीमा नियामक से संपर्क साधा है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाए जाने की तैयारी के बीच सरकार यह कवायद कर रही है, जो देश की सबसे बड़ी आईपीओ की पेशकश हो सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) विभाग भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से बातचीत कर रहा है, जिससे बीमा ‘निगम’ की एक्सचेंजों में सूचीबद्धता की छूट मिल सके। एलआईसी पहला बीमा निगम होगा, जिसका आईपीओ आ रहा है। अधिकारी ने कहा कि आईआरडीएआई के मौजूदा दिशानिर्देशों में सिर्फ उन बीमा कंपनियों की सूचीबद्धता की अनुमति है, जो कंपनी अधिनियम द्वारा संचालित होती हैं। हालांकि कंपनी अधिनियम से तालमेल करने के लिए एलआईसी अधिनियम में कुछ बदलाव किए गए हैं, लेकिन अभी भी यह निगम है। उन्होंने कहा कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निगमों की सूचीबद्धता की अनुमति दी है, लेकिन यह छूट आईआरडीएआई से मांगी जाएगी।
यह चर्चा इसलिए शुरू हुई है, क्योंकि सरकार देश का सबसे बड़ा आईपीओ लाने की तैयारी में है, जिससे महामारी से जूझ रहे साल में सरकार का राजस्व बढऩे की संभावना है। बीमा कंपनी के मूल्यांकन होने और आईपीओ का आकार तय होने के पहले यह मंजूरियां मांगी जा रही हैं, जिससे आईपीओ लाने का वक्त कम किया जा सके। सरकार चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आईपीओ लाने की योजना बना रही है।
उन्होंने कहा कि नियामक के साथ इस विषय पर भी चर्चा हो रही है कि बीमा कंपनी किस तरह से अपने अधिशेष को पॉलिसीधारकों और शेयरधारकों के बीच वितरित करेगी। इस समय एलआईसी अपने अधिशेष का 95 प्रतिशत पॉलिसीधारकों को और शेष 5 प्रतिशत सरकार को देती है।