भारत के विमानन नियामक ने गो फर्स्ट (Go First) से अपने अपने विमान वापस पाने के लिए पट्टादाताओं द्वारा भेजे गए अनुरोधों को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
नियामक ने न्यायालय को दी जानकारी में कहा कि इसकी वजह यह है कि बंद हो चुकी इस एयरलाइन की दिवालियापन प्रक्रिया के कारण उसकी परिसंपत्तियां ‘फ्रीज’ कर दी गई हैं, जिससे ऐसे अनुरोधों को रद्द कर दिया गया है।
गो फर्स्ट के पट्टादाताओं को भुगतान नहीं मिलने से अपने विमान वापस लेने के लिए इस एयरलाइन से बातचीत करने के अलावा भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के साथ अनुरोध करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। डीजीसीए को पट्टादाताओं से इस संबंध में करीब 40 अनुरोध मिले हैं।
गो फर्स्ट को 10 मई को दिवालियापन प्रक्रिया के तहत शामिल किया गया था। पट्टादाताओं का कहना है कि विमानों पर उनका अधिकार नहीं है, क्योंकि पट्टा सौदे लीजिंग कंपनियों द्वारा समाप्त कर दिए गए थे, लेकिन भारत सकरार और एयरलाइन इस संबंध में असहमत हैं और उनका कहना है कि दिवालियापन कानून के तहत विमानों को फ्रीज कर दिया गया है।
29 मई को अदालत की दी जानकारी में डीजीसीए ने स्पष्ट किया कि परिसंपत्तियां फ्रीज होने की वजह से सभी अनुरोधों को स्थगित करने के अलावा उनके पास और कोई विकल्प नहीं रह गया है।
हालांकि डीजीसीए ने पट्टादाताओं के अनुरोध ठुकराए नहीं हैं बल्कि उन्हें दिवालिया प्रक्रिया से जुड़ी अवधि तक स्थगित कर दिया है।