पूंजी निवेश की समस्या को पीछे छोड़ दिया जाए तो पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस (एचएफसी) के लिए एक मजबूत खिलाड़ी के तौर पर गेम में फिर से वापसी करने की राह आसान दिख रही है।
लेकिन महामारी के समय में और चूक के बढ़ते जोखिम के बीच उसे लगातार वृद्घि की राह पर बढऩे के लिए कोष की लागत घटाने जैसी चुनौतियों को पार करने की जरूरत होगी।
पीएनबी एचएफसी के पूर्व बोर्ड सदस्य ने कहा कि कंपनी रियल एस्टेट और इक्विटी पूंजी निवेश में फंसे कर्ज से प्रभावित हुई थी। इससे उसका प्रदर्शन प्रभावित हुआ और उसे अपनी ऋण बुक घटाने के लिए बाध्य होना पड़ा। अब, ये दोनों समस्याएं दूर हो गई हैं और वह वृद्घि की राह मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
अब, कंपनी को दूसरी लहर के बीच रेटिंग अपग्रेड, फंडिंग लागत और व्यावसायिक परिवेश पर ध्यान देने की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि कंपनी मजबूत डिजिटल पृष्ठभूमि, त्वरित सेवा और फंसे कर्ज से जुडे खातों से रिकवरी के लिहाज से सुधार दर्ज कर रही है।
प्रतिस्पर्धी एचएफसी के विश्लेषकों और अधिकारियों का कहना है कि पूंजी निवेश से प्रोफाइल को मजबूती मिली है, जिसमें कर्ज में कमी और रेटिंग अपग्रेड में मदद शामिल है। रेटिंग अपग्रेड से कंपनी को बाजार विकल्पों और बैंकों के जरिये वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए प्रतिस्पर्धी दरों के लिए मोलभाव करने में मदद मिलेगी।
अप्रैल में वित्त वर्ष 2021 के लिए वित्तीय परिणाम की घोषणा के बाद, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने पीएनबी एचएफसी के लिए ‘एए’ की दीर्घावधि रेटिंग की पुन: पुष्टि कर दी थी।
इसमें कंपनी द्वारा हाल के महीनों में इक्विटी कोष उगाही और प्रतिस्पर्धी दरों पर संसाधन जुटाने की उसकी क्षमता का भी योगदान रहा। हालांकि क्रिसिल ने परिसंपत्ति गुणवत्ता के मोर्चे पर संभावित दबाव को देखते हुए नकारात्मक नजरिया बनाए रखा है।
ज्यादातर फंसे ऋण रियल एस्टेट निवेश या डेवलपर ऋणों से संबंधित थे। इनमें से ज्यादातर की वसूली कर ली गई है। अब बढ़ते चूक के जोखिम उन कर्जदारों से हैं जो स्व-रोजगार से जुड़े हुए हैं और इस साल के साथ साथ 2020 में भी महामारी से प्रभावित हुए।
उसकी ऋण बुक वृद्घि को प्रतिस्पर्धी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। पीएनबी एचएफसी ने कोविड- संबंधित परिचालन दबाव की वजह से वित्त वर्ष 2019 से ही ऋण पोर्टफोलियो में कमी का सामना किया है और उसकी रिटेल एवं होलसेल बुक पर दबाव बढ़ा है।
उसे रिटेल व्यवसाय में बैंकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझना पड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि कम कॉरपोरेट मांग की वजह से वाणिज्यिक बैंकों ने आवासीय ऋणों पर ध्यान दिया है, जिन पर अब कॉरपोरेट ऋणों के मुकाबले चूक का जोखिम कम रह गया है।