गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को ई-वोटिंग प्रक्रिया पर स्थगन की फ्रैंकलिन टेम्पलटन एमएफ की अपील खारिज कर दी और कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट के नतीजे सार्वजनिक होने तक इस पर रोक लगी रहेगी। ई-वोटिंग मंगलवार 9 जून को होना था। फ्रैंकलिन एमएफ ने भी पुष्टि की है कि ई-वोटिंग की प्रक्रिया अभी निलंबित रहेगी। फंड हाउस के प्रवक्ता ने कहा, 8 जून के उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 9 से 11 जून को होने वाली ई-वोटिंग की प्रक्रिया और 12 जून को बंद हो चुकी योजनाओं के यूनिटधारकों की बैठक अगले आदेश तक स्थगित रहेगी।
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, फंडों के कुप्रबंधन व धोखाधड़ी के आरोप के बीच वरिष्ठ वकील श्रीमान ठाकोर ने सही कहा है कि ई-वोटिंग का विकल्प चुनते समय यूनिटधारकों के पास सही सूचना नहीं होगी।
वरिष्ठ वकील मिहिर ठाकोर ने मूल याची ए पिरोजशा खंबाटा और पी खंबाटा के बदले अपील की है, जो कारोबारी परिवार से हैं और मशहूर जूस ब्रांड रसना का परिचालन करते हैं। याची ने 6.55 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बाद में अन्य निवेशक भी इस याचिका के साथ जुड़े। न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि यूनिटधारकों की सहमति के बिना योजनाएं बंद करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती, जैसा कि नियम में कहा गया है। इसमें कहा गया है कि ट्रस्टी को यूनिटधारकों से पूर्व सहमति लेनी थी जबकि बहुमत से योजना बंद करने या अपरिपक्व यूनिट की रकम लौटाने का फैसला लिया गया।
पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय ने ई-वोटिंग पर स्थगन का आदेश देकर अंतरिम राहत दी थी, जहां यूनिटधारक तीन विकल्पों में से एक चुन पाएंगे। वे ट्र्स्टी को योजनाओं की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण का अधिकार दे सकते हैं।
अन्य विकल्प है ऑडिट व कंसल्टिंग फर्म डेलॉयट को योजनाओं की परिसंपत्ति के मुद्रीकरण के लिए अधिकृत करना है, जिसे फंड हाउस का सहयोग मिलेगा, जैसा कि कोटक बैंक की टीम ने सलाह दी है।
तीसरा विकल्प दोनों विकल्पों को ठुकराने का है। हालांकि फ्रैंकलिन एमएफ ने पिछली सूचनाओं में निवेशकों को स्पष्ट किया है कि अगर वे तीसरा विकल्प चुनते हैं तो इससे योजनाओं को बंद करने की स्थिति नहीं बदलेगी। साथ ही उन्हें सलाह दी गई थी कि इससे परिसंपत्तियोंं के मुद्रीकरण की प्रक्रिया में देर हो सकती है।
