विदेशी भी लगाएंगे 3 जी की बोली

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:00 AM IST

दूरसंचार विभाग ने बहुप्रतीक्षित 3-जी सेवाओं की नीति को अंतिम रूप दे दिया है और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार कंपनियों को इसमें बोली लगाने के लिए हरी झंडी मिल गई है।


पहले इस नीति को लेकर अच्छा खासा बवाल मच गया थर, जब भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की बोली में आमंत्रित होने के  लिए हरी झंडी दे दी है। इस कदम के बाद दूरसंचार बाजार का दायरा और ज्यादा विस्तृत हो जाएगा और विदेशी कंपनियां भी अपनी मूल्य वर्द्धित सेवाओं का प्रसार कर पाएंगी। इससे पहले ये विदेशी कंपनियां सिनेमा डाउनलोड और मोबाइल टीवी जैसी सुविधाएं प्रदान नहीं कर पाती थी।

हालांकि अभी जिस प्रकार की जीपीआरएस सुविधाएं अपने देश में मौजूद है, उससे दस से 30 गुना ज्यादा तीव्र सेवाएं विदेशी कंपनियां देने में सक्षम है। दूरसंचार विभाग पूरे देश में लाइसेंस प्राप्त करने के लिए रिजर्व राशि को भी दुगनी कर 1,400 करोड़ रुपये कर रहा है। वैसे ट्राई ने पूरे देश में रिजर्व राशि 700 करोड रुपये करने का सुझाव दिया था। समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को भी 0.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है। एजीआर ऐसी राशि है, जो सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां सेवा देने के एक साल बाद सरकार को देती है।

वैसे 3 जी नीति को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंतिम मुहर लगनी बाकी है। इस संबंध में दूरसंचार मंत्री ए राजा प्रधानमंत्री के साथ बीते महीनों में कई बार मिल चुके हैं। प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि इस नीति के मामले में वे निजी रुचि ले रहे हैं। 3 जी नीति को सरकार भी काफी महत्व दे रही है क्योंकि उसके लिए यह दुधारू गाय साबित हो सकती है। इससे सरकार को 43,000 से 52,000 करोड़ रुपये के बीच राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। ऐसा भी बताया जा रहा है कि इससे प्राप्त राशि से सरकार को कल्याणकारी कार्यों जैसे किसान कर्ज माफी योजना में खर्च करने के लिए काफी रकम मिल जाएगी।

3 जी नीति में देरी होने का कारण यह था कि बड़ी दूरसंचार कंपनियों ने अपनी एक लॉबी बना ली थी और वह लॉबी नई कंपनियों को बोली में भाग लेने का विरोध कर रही थी। इस लॉबी ने तो यहां तक कहा था कि उन्हें जीएसएम सेवा प्रदान करने का अनुभव प्राप्त है इसलिए उन्हीं को 3 जी सेवा बिना किसी बोली के  मुहैया करवा दी जाए। विशेषज्ञ यह सवाल खडा करते हैं कि भारत में वॉयस कॉल का बाजार विस्तृत है और उसमें 3 जी सेवा के लिए जगह कहां है। लेकिन दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनी कहती है कि बाजार का 10 प्रतिशत हिस्सा 3 जी सेवाओं की तरफ जरूर स्थानांतरित हो जाएगा। इस क्षेत्र में अब विदेशी कंपनियों के आने से भारतीय कंपनियों के लिए मुकाबला और कड़ा हो गया है।

अब मुकाबला होगा और कड़ा

ऐसी विदेशी दूरसंचार कंपनियां, जो भारत में अपनी सेवा नहीं देती हैं, वे भी बोली में भाग ले सकती है।
बोली के लिए रिजर्व राशि को दुगना कर दिया गया है। दिल्ली और मुंबई के लिए यह राशि 80 करोड़, कोलकाता और चेन्नई के लिए 40 करोड़ और अन्य शहरों के लिए 15 करोड़ होगी।
समायोजित  सकल राजस्व (एटीआर) को बढ़ाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है।
3 जी सेवा एक स्टैंडअलोन सेवा होगी। यह 2 जी सेवा का विस्तार नहीं है।

First Published : July 2, 2008 | 11:07 PM IST